सदा खुश रहो
खुशी मनाओ दिन औ रात ।
जाड़ा, गरमी हो बरसात ॥
खुशी बने जीवन का भाग,
खुशी ही हो जीवन का राग,
खुशियों से मिलता अनुराग,
खुशियों से जागे सौभाग,
खुशी है अनमोल सौगात ।
खुशी लगे नवदिवस प्रभात ॥
दुश्मन हों कितने ही पास,
देते हों कितना ही त्रास,
करना चाहें भले विनाश,
फिर भी मुख पर रखो हास,
खुशियों की है अपनी बात ।
सूरज छिपता काली रात ॥
खुशियों से बढ़ता है प्यार,
रहे न तन में कोई विकार,
मन में खिलते पुष्प विचार,
जीवन महके बाग बहार,
खुशियों से मिटते आघात ।
खुशियां ने देखें कोई जात ॥
खुशियों से मिट जाएं रोग,
रहे न मन में कोई सोग,
खुशी मनाते हैं जो लोग,
काया हर पल रहे निरोग,
चाहे भूलो सारी बात ।
खुशी मनाओ दिन औ रात ॥
कवि कुलवंत सिंह

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
8 पाठकों का कहना है :
bahut sunder bhaav hain bhagvaan aapko bhi isi tarah khush rakhe aur aap khushi bhari kavita likhte rahen
बहुत सुन्दर बाल कविता है।बधाई स्वीकारें।
वाह !
बहुत बहुत सुंदर बात,बच्चे बूढे ,सबके लिए अनुकरणीय और सदा ध्यान में रखने योग्य.! आभार.
कुलवंत जी,
आपने बहुत ही प्यारी कविता लिखी है - बच्चों और सभी बड़ों के भी मन खिल गए होंगे पढ़कर. मुझे तो पढ़कर खूब आनंद आया. बहुत बधाई.
शन्नो
कुलवंत जी,
खुशी मनाओ बच्चों के साथ, होगी खुशिओं की बरसात! आपने कह दी बच्चों के मन की बात, आपको बधाई और सुप्रभात!
देवेन्द्र सिंह चौहान
दुश्मन हों कितने ही पास,
देते हों कितना ही त्रास,
करना चाहें भले विनाश,
फिर भी मुख पर रखो हास,
achchi ,seekh deti kavita ,
kulwantji
सभी को पढ़नी चाहिए ये कविता .हम को भी सिखने की जरूरत है
सुंदर लिखा है
सादर
रचना
"खुशी" विटामिन एक है पर हैं लाखों लाभ
कुलवंत जी की काव्य में, कितने बढिया भाव
कितने बढिया भाव, खुशी से हो सब हासिल
मुख पर लेकर हास मिले है सबको मंजिल
दुश्मन को कर दूर, खुशीमय रहे रात दिन
लाखों अगणित लाभ, एक हैं खुशी विटामिन
लाखों अगणित लाभ, एक हैं खुशी विटामिन
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)