गाजर के करिश्मे
मैं उगती हूँ जमीन के अन्दर
सब कहते गाजर है मेरा नाम
लाल, नारंगी और पीला सा रंग
और करती हूँ बढ़िया से काम।
जो कोई सुनता गुणों को मेरे
रह जाता है वह बहुत ही दंग
अपने मुँह से तारीफ़ कर रही
पर बच्चे होते हैं मुझसे तंग।
जो भी मुझे पसंद नहीं करते
वह रह जाते मुझसे अनजान
समझदार तो खा लेते मुझको
पर कुछ बच जाते हैं नादान।
मुझे छील-काट कर देखो तो
अन्दर-बाहर पाओ रंग एक से
सबके स्वास्थ्य की हूँ हितकारी
भरी पोटैसियम व विटामिन से।
पर क्यों दूर रहते बच्चे मुझसे
यह बात समझ नहीं आती है
उनकी मम्मी बनाकर मुझको
अक्सर क्यों नहीं खिलाती है।
हर प्रकार से स्वस्थ्य रहोगे
चाहें कच्चा ही मुझको खाओ
हलवा-खीर बनाओ मुझसे
और मुरब्बे को भी आजमाओ।
गोभी, मटर-आलू संग सब्जी
और गोभी संग डालो दाल में
सूप बने प्याज-धनिया संग
और टमाटर भी उस हाल में।
मुझे पकाओ यदि मटर के संग
दो जीरा, नमक-मिर्च का बघार
बटर और ब्रेड के संग भी खा लो
जल्दी से सब्जी हो जाती तैयार।
बंदगोभी, मटर और सेम संग
कभी सादा सा लो मुझे उबाल
या जल्दी से सब चावल में डालो
नहीं होगा कुछ अधिक बवाल।
कभी केक में डालो मुझे घिसकर
मूली, शलजम संग बनता है अचार
ककड़ी, मूली और हरी मिर्च संग
मैं हर सलाद में भरती नयी बहार।
-शन्नो अग्रवाल
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
2 पाठकों का कहना है :
kya baat hai aap ne sahi likha hai janti hain in me se kuchh to bahut dino se khaya nahi hai.ghr bahut yad aaya aaj
saader
rachana
अच्छा लगा जानकर आपको गाजर के करिश्मे भाये
इससे बनी चीजों संग जुड़े हैं बचपन की यादों के साये.
पढ़ने और पसंद करने के लिये धन्यबाद.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)