मैं गोरी-गोरी मूली
सुंदर हूँ मैं और हूँ गोरी-गोरी
बहुत तरह के होते हैं आकार 
मोती-पतली, छोटी-लम्बी
मैं सलाद में बनती सदा बहार. 
अन्दर-बाहर से एक रंग की 
नाम करण से मूली कहलाई   
बदन सलोना सा और लचकता
पैदा होते ही सबके मन को भाई.
पत्ते भी सबके मन को भाते हैं  
उन्हें धो-काटकर बनता साग 
उनके ताजे रस का पान करें यदि 
तो फिर पेट के रोग जाते हैं भाग. 
यदि सब्जी का हो भरा टोकरा 
मैं पत्तों संग उसकी शोभा बनती    
गाजर की कहलाऊँ मैं हमजोली 
जोड़ी हमदोनो की अच्छी लगती.  
हर मौसम में मैं मिल जाती 
गर्मी हो या हो कितनी ही सर्दी 
रंग-रूप जो भी निहारता मेरा 
ना मुझसे दिखलाता है बेदर्दी. 
खाना खाने जब सब बैठें तो
' अरे भई, मूली भी ले आओ '
सुनकर मैं भी कुप्पा हो जाती 
नीबू-गाजर संग भी खा जाओ. 
चाहें नमक संग टुकड़े  खाओ 
या फिर नीबू-सिरके में डालो 
और ना सूझे अधिक तो मेरी
आलू संग सब्जी ही पकवा लो. 
धनिया, मिर्च, टमाटर संग तो
हर घर में जमती है मेरी धाक
पर जब भी काटो छीलो मुझको 
महक से बचने को रखना ढाक.  
घिसकर मुझे मिला लो आटे  में
धनिया भी और कुछ चाट-मसाला
गरम-गरम परांठे बना के खाओ 
मुझसे स्वाद लगेगा बहुत निराला.
शलजम, गाजर, मिर्च, प्याज़ संग 
मिलकर बन जाता रंगीन  सलाद 
मिर्च, धनिया और  नीबू भी डालो 
फिर मुझको खाकर कहना धन्यबाद.  
--शन्नो अग्रवाल
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं। क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ।
बच्चो,
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क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों? अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
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तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया। आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में। एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।


 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
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5 पाठकों का कहना है :
शन्नो जी, मूली की कितनी प्यारी विशेषताएं,कितना प्यारा स्वाद......मूली के पराठे ,
मुंह में पानी आ गया
गोरी मूली की इतनी विशेषताएँ इतने रोचक ढंग से प्रस्तुत करने पर आपको धन्यवाद
रश्मि जी, नीलम जी,
मेरी कविता को सराहने के लिये अति धन्यबाद. इस तरह की राय से उत्साह मिलता है तो मन हर्षित होकर फिर कुछ लिख देता है. आप लोगों की कृपा से ही बाल-उद्यान फल-फूल रहा है. आगे भी अपने प्यार से सींचते रहिये.
सच मानिये कविता पढ़ते पढ़ते भूख बढ़ गई मूली पर इतने अच्छे तरीके से लिखा जा सकता है कभी सोचा न था
मजा आया पढ़ कर
सादर
रचना
रचना जी,
आपने मेरी कविता की प्यार से तारीफ़ की और मन मेरा लहक गया. बहुत शुक्रिया.
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