6 नवम्बर 2009- क्या आप जानते हैं ?
जाड़ों में मुहँ से भाप क्यों निकलती है?
हमारे शरीर में 60 से 80 भाग तक पानी है। जब हम साँस लेते हैं तो यह पानी भाप द्बारा निकलता रहता है।
गर्मियों में क्योंकि हवा गर्म होती है, इसलिए साँस द्वारा निकलने वाली भाप गर्मी पाकर सूख जाती है। हम उसे देख नहीं पाते। लेकिन सर्दियों में हवा ठंडी रहती है, इस कारण जैसे ही हमारे मुँह से भाप निकलती है, वह बाहर की ठंडक पाकर घनी हो जाती है और हम उसे भाप के रूप में साफ-साफ देख सकते हैं।

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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2 पाठकों का कहना है :
नीलम जी,
इतनी अच्छी जानकारी वाली बातों को बाल-उद्यान पर बताने के लिये धन्यबाद.
आप हमेशा ही इस तरह की बातें बताती रहें. बड़ा अच्छा लगता है पढ़कर.
भूला हुआ ज्ञान याद दिला देता है बाल-उद्यान...
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