Saturday, November 14, 2009

फूल से होते बच्चे प्यारे


फूल से होते बच्चे प्यारे,
भारत वर्ष के न्यारे-न्यारे,
इन में ही तो भविष्य छिपा है,
होंगें देश के वारे-न्यारे।

चाचा नेहरू समझ गये थे,
बच्चे हैं अनमोल सितारे,
तभी तो उनको सबसे ज्यादा,
बच्चे ही लगते थे प्यारे।

बच्चों में भगवान छिपा है,
तभी तो सबसे सच्चे बच्चे,
न कोई छल न कपट भरा है,
तभी सभी को लगते अच्छे।

मस्ती इनमें खूब भरी है,
जिद भी इनकी बहुत बड़ी है,
होते हैं ये समझ के कच्चे,
सिखाने की भी यही घड़ी है।

कोमल सा मन ये रखते हैं,
तन भी कोमल सा है इनका,
इनको मत कोई चोट पहुंचाना,
गलत राह न तुम दिखलाना।

आओ हम संकल्प करें सब,
इनको वो आकाश दिलायें,
जो हम सब ने नहीं है पाया,
जीवन में वो सब ये पायें।

--डॉ॰ अनिल चड्डा


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4 पाठकों का कहना है :

रावेंद्रकुमार रवि का कहना है कि -

बच्चे कहीं के भी हों,
प्यारे होते हैं!
बच्चे किसी के भी हों,
न्यारे होते हैं!

neelam का कहना है कि -

बच्चों में भगवान छिपा है,
तभी तो सबसे सच्चे बच्चे,
न कोई छल न कपट भरा है,
तभी सभी को लगते अच्छे।

वाकई अच्छी प्रस्तुति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' का कहना है कि -

आपकी कविता की चर्चा यहाँ भी है-
http://anand.pankajit.com/2009/11/blog-post_15.html

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

आप सभी को रचना पसन्द आई, मन को बहुत अच्छा लगा । प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद !

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