कामयाबी का ताबीज
कामयाबी का ताबीज
सेठ धनीमानी का व्यापार धूमधाम से चलता था ,सेठ के एक ही लड़का था .उसका नाम था धनीराम .वह व्यापार के झंझटों से अलग ही रहता था ।
एक दिन सेठ संसार से चल बसा .उसका सारा कारोबार धनीराम के कन्धों पर आ पड़ा .दुकानों का काम अच्छा चलता रहा .लेकिन अंत में कुछ बचत नही हुई .नया सेठ समझ नही पाया कि लाभ क्यों नही हुआ .उसने सोचा कि उस पर किसी ग्रह की दशा है ।
धनीराम खोटे ग्रह से छुटकारा पाने के लिए एक सिद्ध महात्मा के पास गया .महात्मा ने उसे एक ताबीज दिया .उसने धनीराम से कहा , " बेटा इसे हाथ में बाँध लो ,इसे बाँध कर तुम जहाँ -जहाँ जाओगे वहाँ लाभ होगा .एक वर्ष बाद इस ताबीज को मुझे वापस दे देना ।"
धनीराम को मुंहमांगा वरदान मिल गया .ताबीज बांधकर सबसे पहले वह रसोईघर में गया .वहाँ उसने देखा कि रसोइये चीनी और दूध खा -पी रहे थे .नौकर आटा - दाल चुरा कर रख रहे थे ।
धनीराम ने वहाँ का प्रबंध ठीक किया ।
इसके बाद दुकान गया .उसने देखा कि बहुत सा माल गोदाम में पड़ा सड़ रहा था ।कुछ नौकर चोरी से माल बेचते पकड़े गए .धनीराम को विश्वास हो गया कि सब ताबीज का ही प्रभाव है .अब वह इधर- उधर घूमकर सारा कारोबार
ख़ुद देखने लगा .इस साल उसे काफी मुनाफा हुआ .लेकिन उसे यह चिंता भी हुई कि ताबीज अब वापस करना होगा।
धनीराम महात्मा के पास गया .उसे ताबीज का चमत्कार बताया .उसने महात्मा से प्रार्थना की ,कि वह उसे एक वर्ष के लिए यह ताबीज और दे दें .महात्मा ने हँस कर कहा ,"इसमे तो कुछ भी शक्ति नही है। इसे खोल कर तो देखो ।"
धनीराम ने ताबीज खोलकर देखा .उसके भीतर एक छोटे से कागज़ पर लिखा था "यदि सफलता चाहते हो ,तो छोटी से छोटी बात की देखभाल ख़ुद करो "
महात्मा ने धनीराम को कामयाबी का राज समझाया .उसने कहा ,"लाभ ताबीज के कारण नही हुआ है, तुमने अपने हर काम की देखभाल ख़ुद की है .इसीलिए तम्हें कामयाबी मिली है .अब इस ताबीज को तुम फेक दो .जाओ ,बुद्धि का ताबीज पहन कर सिद्धि प्राप्त करो ."
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2 पाठकों का कहना है :
बहुत अच्छी प्रेरणाप्रद कहानी है बधाई
बहुत प्रेरक कहानी है।आभार।
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