चित्र आधारित दूसरी कविता
चित्र आधारित बाल कविता प्रतियोगिता की दूसरी कविता सीमा सचदेव की है। बाल-उद्यान की 25 प्रतिशत से भी अधिक सामग्री सीमा सचदेव ने अकेले तैयार की है। इंटरनेट पर बाल-साहित्य को समृद्ध करने में इनका बहुत योगदान है।
बच्चे प्यारे, कहते सारे
पर हम हैं कितने बेचारे
कर न पाएं कभी स्व मन की
सुनें बात घर के हर जन की
बात हमारी कोई न माने
न ही समझदार कोई जाने
न करने दें कोई शैतानी
पाठ पढ़ाती रहती नानी
मानो सदा बड़ों का कहना
शोर न करना, चुप ही रहना
चॉक्लेट आईसक्रीम नहीं खाना
न खेलने बाहर को जाना
टी.वी देखना नहीं है अच्छा
देख अभी तू छोटा बच्चा
सारा दिन बस करो पढ़ाई
मम्मी ढ़ेर किताबें लाई
मांगो जब भी कोई खिलौना
आ जाता है सबको रोना
कर दो पहले घर का काम
खिलौने का फिर लेना नाम
स्वयं कभी न लेकर देते
मांगें हम तो जिद्दी कहते
रो-रोकर जो बात मनवाएं
तो गन्दे बच्चे कहलाएं
कभी जो घर आएं मेहमान
आफ़त में आ जाती जान
स्वयं तो खाते मिलके मिठाई
जीभ हमारी जो ललचाई
आंखों से ही करें इशारा
किसी चीज को हाथ जो मारा
होगी बाद में खूब पिटाई
खा नहीं सकते हम मिठाई
भूखे पेट सुनाओ गाना
मा-पापा की शान बढ़ाना
जो गलती से गए कुछ भूल
चुभ जाती मम्मी को शूल
लगता उनकी शान को धक्का
भूला क्यों जो रटा था पक्का
सवार है ऊपर नम्बरों का भूत
लाओ वरना पड़ेंगे जूते खूब
इक नम्बर भी कम जो आया
सारे किए का हुआ सफ़ाया
हम नन्हे से छोटे बच्चे
कहते सब हम दिल के सच्चे
पर सब अपना हुक्म चलाएं
जाएं वही जहां ले जाएं
उन्हीं की मर्जी से खाएं खाना
चलता नहीं है कोई बहाना
सुनो बात पर मुंह न खोलो
तुम बच्चे हो कुछ न बोलो
जल्दी जगना जल्दी सोना
हमको बस आता है रोना
रो कर खुद ही चुप हो जाएं
बोलो बच्चे किधर को जाएं
--सीमा सचदेव
संपादकीय टिप्पणी- सीमा सचदेव की कविता को हम दूसरे स्थान पर रखेंगे, इन्होने भी बहुत अच्छी कविता लिखी है। बच्चों में संवेदनशीलता उतनी ही होती है, जितनी कि किसी भी व्यस्क व्यक्ति में, इस भाव की वजह से इनकी कविता को दूसरा स्थान दिया गया है।
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4 पाठकों का कहना है :
बहुत सुंदर।
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जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।
seema ji dusra sthan pane ki badhai .mene bhi koshish kithi kavita likhne ki pr kuchh bana bahui .
aap ki kavita dekh ke laga achchha huaa jo nahi likha .
bahut sunder bhav hai
saader
rachana
kuchh bana nahi likhna chahti thi pata nahi kya likh gaya
bachchon ki maansikta ko khud jeete hue likhna ,bahut hi prabhaavpoorn rachna .badhaai sweekaaren seema ji .
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