पहला झूठ
पहला झूठ
खेलते खेलते बच्चे ने मेरी जेब से पेन निकाला .वह पेन की निब फर्श पर मारने को हुआ ,तो मैंने पेन छीन लिया .वह रोने लगा .उसे चुप करने के लिए पेन देना पड़ा .वह फिरनिब को फर्श पर मारनेलगा ।
पेन कीमती था .मै नही चाहता था ,कि बच्चा उसे बेकार कर दे ।मैंने बच्चे का ध्यान फिराया .पेन उससे छीन कर छिपा लिया .पर की ओर इशारा करते हुए मैंने कहा ,"पेन ....चिड़िया ।" पेन चिड़िया ले गई .इस बार वह रोया नही .आसमान की ओर नजर उठा कर देखने लगा ।
एक दिन वह बर्फी खा रहा था .मैंने कहा "बिट्टू ,बर्फी मुझे दे दो ।"
उसने बर्फी पीठ के पीछे छिपाई और बोला ,"बफ्फी .......चिया ......."

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
3 पाठकों का कहना है :
मासूम झूठ।
--------
अदभुत है हमारा शरीर।
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा?
सही है वो जैसा हम उन्हें सिखायेंगे वही तो सीखेंग । शुभकामनायें
नीलम जी,
यह झूठ नहीं.... it is survival of fittest :)
भई, बच्चे हैं तो क्या हुआ, उन्हें भी तो इसी दुनिया में जीना है :). ऐसे ही भोले बने रहेंगे तो कोई भी उन्हें धोखा दे देगा.... इसलिए इसे होशियारी कहिये :)) .
हाँ, यह अलग बात है कि इसमें उनका भोलापन खो जाता है और वे दुनियादारी के दांव पेच सीख जाते हैं.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)