Friday, February 1, 2008

लक्ष्य से जीत तक ( भाग - 1 )

जीवन अनमोल है। आधुनिक युग में हर व्यक्ति बेहतर भविष्य, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं अच्छे जीवन के लिए सदा प्रयत्नशील रहता है। आपको भी यदि सफल होना है; जीवन में कुछ पाना है; महान बनना है; तो निम्न बातों को जीवन में अपना लीजिए ।
1. लक्ष्य निर्धारण - सर्वप्रथम हमें अपने जीवन में लक्ष्य का निर्धारण करना है। एक लक्ष्य - बिलकुल निशाना साध कर। अर्जुन की चिड़िया की आँख की तरह। स्वामी विवेकानंद ने कहा था - जीवन में एक ही लक्ष्य साधो और दिन रात उस लक्ष्य के बारे में सोचो । स्वप्न में भी तुम्हे वही लक्ष्य दिखाई देना चाहिए । और फिर जुट जाओ, उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए - धुन सवार हो जानी चाहिए आपको । सफलता अवश्य आपके कदम चूमेगी । लेकिन एक बात का हमें ध्यान रखना है। हमारे लक्ष्य एवं कार्यों के पीछे शुभ उद्देश्य होना चाहिए। पोप ने कहा था - शुभ कार्य के बिना हासिल किया गया ज्ञान पाप हो जाता है । जैसे परमाणु ज्ञान - ऊर्जा के रूप में समाज के लिए लाभकारी है तो वहीं बम के रूप में विनाशकारी भी ।
2. कर्म - लक्ष्य निर्धारण के बाद आता है कर्म । गीता का सार है - कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन । कर्म में जुट जाओ। उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, जो आपने चुना है। हर पल । बिना कोई वक्त खोए। गांधी जी ने कहा था - अपने काम खुद करो, कभी दूसरों से मत करवाओ। गांधी जी खुद भी अपने सभी कार्य खुद करते थे। दूसरी बात जो गांधी जी ने कही थी - जो भी कार्य करो, विश्वास और आस्था के साथ, नही तो बिना धरातल के रसातल में डूब जाओगे। यह अति आवश्यक है कि हम अपने आप पर विश्वास और आस्था रखें, यदि हमें अपने आप पर ही विश्वास नही है तो हमारे कार्य किस प्रकार सफल होंगे? जरूरी है - अपने आप पर मान करना, स्वाभिमान रखना । विश्वास और लगन के साथ जुटे रहना । हमारे कार्यों से हमेशा एक संदेश मिलना चाहिए । नेहरू जी से मिलने एक बार एक राजदूत, एक सैनिक एवं एक नवयुवक मिलने आए । तो नेहरू जी ने सबसे पहले नवयुवक को मिलने के लिए बुलाया, फिर सैनिक को एवं सबसे बाद में विदेशी राजदूत को । बाद में सचिव के पूछने पर बताया कि नवयुवक हमारे देश के कर्णधार हैं, सैनिक देश के रक्षक; उनको सही संदेश मिलना चाहिए । बिना बोले हमारे कर्मों से समाज को संदेश मिलना चाहिए ।
3. अवसर - हर अवसर का उपयोग कीजिए। कोई भी मौका हाथ से न जाने दीजिए । स्वेट मार्टेन ने कहा था - अवसर छोटे बड़े नही होते; छोटे से छोटे अवसर का उपयोग करना चाहिए। चैपिन ने तो यहां तक कहा कि जो अवसरों की राह देखते हैं, साधारण मनुष्य होते हैं; असाधारण मनुष्य तो अवसर पैदा कर लेते हैं । कई लोग छॊटे छॊटे अवसर यूं ही खॊ देते हैं कि कोई बड़ा मौका हाथ में आएगा, तब देखेंगे। यह मूर्खता की निशानी है।
4. आशा / निराशा - आप कर्म करेंगे तो जरूरी नही कि सफलता मिल ही जाए। लेकिन आपको घबराना नही है। अगर बार बार भी हताशा हाथ आती है, तो भी आपको निराश नही होना है । मार्टेन ने ही कहा था - सफलता आत्मविश्वास की कुंजी है । ग्रेविल ने कहा था - निराशा मस्तिष्क के लिए पक्षाघात (Paralysis) के समान है कभी निराशा को अपने पर हावी मत होने दो । विवेकानंद ने कहा था - 1000 बार प्रयत्न करने के बाद यदि आप हार कर गिर पड़े हैं तो एक बार फिर से उठो और प्रयत्न करो । अब्राहम लिंकन तो 100 में से 99 बार असफल रहे। जिस कार्य को भी हाथ में लेते असफलता ही हाथ लगती । लेकिन सतत प्रयत्नशील रहे। और अमेरिका के राष्ट्रपति पद तक जा पँहुचे । कुरान में भी लिखा है - मुसीबतें टूट पड़ें, हाल बेहाल हो जाए, तब भी जो लोग निश्चय से नही डिगते, धीरज रख कर चलते रहते है, वे ही लक्ष्य तक पहुँचते हैं ।
(इसका अगला और अंतिम भाग - 2 अगले शुक्रवार को)

कवि कुलवंत सिंह
वैज्ञानिक अधिकारी
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई


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4 पाठकों का कहना है :

seema gupta का कहना है कि -

मार्टेन ने ही कहा था - सफलता आत्मविश्वास की कुंजी है । ग्रेविल ने कहा था - निराशा मस्तिष्क के लिए पक्षाघात (Paralysis) के समान है कभी निराशा को अपने पर हावी मत होने दो । विवेकानंद ने कहा था - 1000 बार प्रयत्न करने के बाद यदि आप हार कर गिर पड़े हैं तो एक बार फिर से उठो और प्रयत्न करो । अब्राहम लिंकन तो 100 में से 99 बार असफल रहे। जिस कार्य को भी हाथ में लेते असफलता ही हाथ लगती । लेकिन सतत प्रयत्नशील रहे। और अमेरिका के राष्ट्रपति पद तक जा पँहुचे । कुरान में भी लिखा है - मुसीबतें टूट पड़ें, हाल बेहाल हो जाए, तब भी जो लोग निश्चय से नही डिगते, धीरज रख कर चलते रहते है, वे ही लक्ष्य तक पहुँचते हैं ।
"बहुत सुंदर लेख है अपने लक्ष्य प्राप्ती की और अग्रसर रहने को प्रेरित करता हुआ"
Regards

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख ...कुलवंत जी ..!!

विश्व दीपक का कहना है कि -

बहुत हीं ज्ञानवर्धक एवं उपयोगी लेख लिखा है आपने, कुलवंत जी! हरेक पंक्ति कुछ सीखाने में सक्षम है। बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक ’तन्हा’

Banty का कहना है कि -

Asaflta hi saflta ki pahli sidi hoti hai isliye har se ghabra nahi chahiye uss se sabk lena chahiye aur phir se aapne kkam mai lag jana chahiye.

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