Sunday, February 24, 2008

जीवन इस पर वारें

देश हमारा हम इसके हैं,
जीवन इस पर वारें ।
जीवन इस पर वारें ।

फूल खिले हर इस बगिया का,
अपना चमन संवारें ।
जीवन इस पर वारें ।

पतझड़ का मौसम न आए,
खूब खिलाएं बहारें ।
जीवन इस पर वारें ।

तूफानों में घिरी हो कश्ती,
मिलकर पार उतारें ।
जीवन इस पर वारें ।

दूर गगन तक हमको जाना,
मीत बना लें तारे ।
जीवन इस पर वारें ।

चल न सकें जो साथ हमारे,
उनके बने सहारे ।
जीवन इस पर वारें ।

संकट कोई भी जब आए,
हम फूल बनें अंगारे ।
जीवन इस पर वारें ।

कवि कुलवंत सिंह


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5 पाठकों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

बहुत ही प्यारी देशभक्ति का पाठ पढाती कविता,बढ़ी हो सर जी
आलोक सिंह "साहिल"

रंजू भाटिया का कहना है कि -

अच्छी लगी यह बाल कविता ..!!

seema sachdeva का कहना है कि -

बहुत अच्छी देश भक्ति की प्रेरणा देने वाली कविता......सीमा सचदेव

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

कवि जी सुन्दर देश प्रेम युक्त बाल-कविता..

HIMANSHI SHARMA का कहना है कि -

isme deshbhakti kahan hai ???
mujhe ye kavita acchi nahin lagi.....

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