साथी बढ़ते जाना
साथी बढ़ते जाना ।
हाथ पकड़ कर इक दूजे का,
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
संकट कितने ही आएं,
इनसे न घबराना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
मंजिल दूर भले हो कितनी,
मिलकर कदम बढ़ाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
पथ में चलते हार गए जो,
उनको गले लगाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
कंटक कितनी ही पीड़ा दें,
आँसू न कभी बहाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
रोशन हो यह जग सारा,
सूरज नया उगाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
कवि कुलवंत सिंह

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9 पाठकों का कहना है :
मंजिल दूर भले हो कितनी,
मिलकर कदम बढ़ाना ।
साथी बढ़ते जाना ।
सुंदर बाल कविता बधाई कुलवंत जी
मंजिल दूर भले हो कितनी,
मिलकर कदम बढ़ाना ।
साथी बढ़ते जाना ।
इस संदेश व मानसिकता की आवश्यकता सारे संसार को है. इतने सुंदर ढंग से एक बहुत सुंदर संदेश देने लिये बधाई स्वीकारें.
कवि जी,
पथ में चलते हार गए जो,
उनको गले लगाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
कंटक कितनी ही पीड़ा दें,
आँसू न कभी बहाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
रोशन हो यह जग सारा,
सूरज नया उगाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
बढ़िया, सुन्दर कविता
सुंदर है |
बधाई
अवनीश तिवारी
बहुत बढ़िया, बढ़िया कविता..बधाई.
कंटक कितनी ही पीड़ा दें,
आँसू न कभी बहाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
रोशन हो यह जग सारा,
सूरज नया उगाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी .....
सुंदर बाल कविता बधाई स्वीकारें.
Regards
रोशन हो यह जग सारा,
सूरज नया उगाना ।
साथी बढ़ते जाना । साथी
अच्छी कविता.बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
कुलवंत जी, आपकी कविता वाकई प्रेरणादायक है। बहुत-बहुत बधाई।
कवि जी,
इस कविता में दिनों तक छाये रहने की क्षमता है
आप हर जगह अपना स्तर बनाये रखते हैं ।
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