चुलबुली राजकुमारी

एक चुलबुली सी नटखट सी, नन्ही सी प्यारी प्यारी सी
आखों से शरारत छलकाती, सुंदर सी राजकुमारी सी
सुन्दर सी राजकुमारी सी .....
नन्हे नाजुक क्या नर्म हाथ, कलियों कि तो फिर क्या बिसात
क्या होगी यूँ कोई अप्सरा, तुम भी देखो एक बार जरा
छोटे से पैरों पर चलती, पायल की छम छम छम करती
यूँ लगे हवा के झोकों से, हिलती फूलों कि डाली सी
एक चुलबुली सी.......................
चेहरा चन्दा की प्रतिमूरत, देखी न कभी ऐसी सूरत
हर बात में खुशबू चन्दन की, आखें जैसे हिरनी बन की
उंगलियाँ वर्तिका सी कोमल, इठलाती इतराती पल-पल
गालों पर सिन्दूरी लाली, करती हर बात निराली सी
एक चुलबुली सी.......................
संगमरमर बदन सरीखी सी, चहुँ ओर से मूरत नीकी सी
सजदा करने को मन उत्सुक, हर नज़र देखती है रूक रूक
खोलें होंठों की पंखुड़ियाँ, देती बखेर मोती लाड़ियाँ
केशों कि लट या आबनूस, या घटा या नागिन काली सी
एक चुलबुली सी .......................
दांतों पे दामिनी दमक रही, मुख मंडल आभा चमक रही
तुतलाते शब्दों से बोले, मिश्री सी कानों में घोले
एक सुखद सी बारिश होती है, जब बिन आंसू के रोती है
"राघव" मद-मस्त पवन सी वो, मीठी सी मधु मनुहारी सी
एक चुलबुली सी.......................

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
10 पाठकों का कहना है :
संगमरमर बदन सरीखी सी, चहुँ ओर से मूरत नीकी सी
सजदा करने को मन उत्सुक, हर नज़र देखती है रूक रूक
खोलें होंठों की पंखुड़ियाँ, देती बखेर मोती लाड़ियाँ
केशों कि लट या आबनूस, या घटा या नागिन काली सी
एक चुलबुली सी .......................
" एक राजकुमारी की सुंदर कल्पना और हर शब्द मे उसकी रूप की और उसकी चंचल्त्ता का जो वर्णन किया है अपना ही बचपन याद आ गया . इतनी मनमोहक रचना है के शब्दों मे बयान करना ही मुश्किल है, अती सुंदर "
दांतों पे दामिनी दमक रही, मुख मंडल आभा चमक रही
-- अच्छी रचना है|
बाल्य सुन्दरता का अच्छा बखान है |
अवनीश तिवारी
Bahut Achhey Kavivar, Bahut Achhey!!!
A Wish A Very Very Happy B'day Ayushi Dear
God Bless You, Alwayssssss :)
Bahut Achhey Kavivar, Bahut Achhey!!!
A Wish A Very Very Happy B'day Ayushi Dear
God Bless You, Alwayssssss :)
-- Amit Verma
दांतों पे दामिनी दमक रही, मुख मंडल आभा चमक रही
तुतलाते शब्दों से बोले, मिश्री सी कानों में घोले
एक सुखद सी बारिश होती है, जब बिन आंसू के रोती है
बहुत ही प्यारी चुलबुली सी कविता लिखी है आपने राघव जी ..!!
अरे वाह राघव जी! आपने तो सचमुच एक नन्हीं राजकुमारी का शब्द-चित्र उकेर दिया! बहुत ही सुंदर लगी आपकी यह रचना.
संगमरमर बदन सरीखी सी, चहुँ ओर से मूरत नीकी सी
सजदा करने को मन उत्सुक, हर नज़र देखती है रूक रूक
खोलें होंठों की पंखुड़ियाँ, देती बखेर मोती लाड़ियाँ
केशों कि लट या आबनूस, या घटा या नागिन काली सी
एक चुलबुली सी .......................
दांतों पे दामिनी दमक रही, मुख मंडल आभा चमक रही
तुतलाते शब्दों से बोले, मिश्री सी कानों में घोले
एक सुखद सी बारिश होती है, जब बिन आंसू के रोती है
"राघव" मद-मस्त पवन सी वो, मीठी सी मधु मनुहारी सी
एक चुलबुली सी.......................
बहुत ही नाजुक सी कविता,मजा आ गया.
आलोक सिंह "साहिल"
चुलबुली राजकुमारी पर चुलबुली कविता पढने को मिली, बधाई।
राघव जी कविता बहुत पसन्द आयी । इसी तरह बाल-उद्यान में नई-नई रचनायें लिखते रहिये।
राघव जी,
प्यारी रचना
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)