बसंत आया है
बसंत आया है
आया है फिर से बसंत राजा आया है
बहुत दिनों बाद फिर हिय हरषाया है
आया है फिर से बसंत राजा आया है
टेसू ने फूलों से पूरा मण्डप सजाया है
बासंती हवा ने सारा सौरभ फैलाया है
महुए की मादकता से आम बौराया है
वृक्षों ने पल्लव का तिलक लगाया है
भौंरों ने कलियों को चूमा-चटकाया है
कोयल ने कुहु-कुहु प्रेम-गीत गाया है
प्रकृति है गदगद यौवन भर आया है
नंदन है हर्षित जी, मन गुदगुदाया है
बहुत दिनों बाद फिर हिय हरषाया है
आया है फिर से बसंत राजा आया है
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डॉ. नंदन ,बचेली (बस्तर)
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5 पाठकों का कहना है :
सुंदर वसंत आगमन की कविता है !!
स्वागत! स्वागत !! स्वागत बसंत !!!
हे प्रेम्पुन्ज! हे आस रूप !!
ऋतुपति तेरी सुषुमा अनंत !!!
स्वागत! स्वागत !! स्वागत बसंत !!!
" बसंत के आगमन का सुंदर स्वागत " अच्छी कवीता.
नंदन जी बेहतरीन अंदाज में बसंत का स्वागत किया,स्वागत योग्य कविता,बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
नन्दन जी,
सुन्दर बसंती कविता, मोहक..
वासंती हवा की खुशबू से शोभित कविता बहुत अच्छी लगी. बधाई!
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