गुड़िया रानी बड़ी सयानी
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !
बातें करती नई पुरानी !!
आओ आज सुनाये तुमको,
इस गुड़िया की मधुर कहानी !!
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !
है तो यह छोटी सी गुड़िया,
पर बातों से लगती बुढिया !
खुस हो तो मिसरी की पुरिया,
वरना बन जाए यह छुरिया !
आ जाए गर जिद पे अपनी,
याद करा दे सबकी नानी !
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !!
तोते सी तुतलाती बोली !
कानो में अमृत सी घोली !!
आंगन में गुंजी किलकारी !
मीठी-मीठी प्यारी-प्यारी !!
कलकंठी कोयल के स्वर से,
चहक उठे जैसे फुलवारी !!
हँसे हंसाये, रोये गाए,
कू कू कर के मुझे बुलाए !
मैं जाऊं तो वो छुप जाए,
मिले तो हंस कर हाथ बजाये !
करतब अचरज भरे देख कर,
होती है सबको हैरानी !
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !!
कुछ दिन में यह काम करेगी,
माँ इसकी आराम करेगी !
पढ़ लिख कर के जग में
रोशन,पापाजी का नाम करेगी !
फिर कुछ दिन में बड़ी बनेगी !
सज-धज कर के बड़ी बनेगी !!
और खुशी के पंख लगेंगे,
जाने किनके भाग्य जागेंगे !
फिर गुड्डे रजा आयेंगे,
गुड़िया को संग ले जायेंगे !
हम सब रोते रह जायेंगे,
हो जायेगी खत्म कहानी !
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !
-- केशव कुमार कर्ण
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साथ ही आप जाकिर अली रजनीश की चुपके से बतलाना कविता भी पढें, ये कविता भी आपको जरूर पसंद आएगी।
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साथ ही आप जाकिर अली रजनीश की चुपके से बतलाना कविता भी पढें, ये कविता भी आपको जरूर पसंद आएगी।
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8 पाठकों का कहना है :
बहुत ही प्यारी सी कविता है यह ..बहुत अच्छा लग इसको पढ़ना !!
ओह बहुत अरसे बाद इस कविता को पढ़कर अच्छा लगा ।
है तो यह छोटी सी गुड़िया,
पर बातों से लगती बुढिया !
खुस हो तो मिसरी की पुरिया,
वरना बन जाए यह छुरिया !
आ जाए गर जिद पे अपनी,
याद करा दे सबकी नानी !
गुड़िया रानी बड़ी सयानी !!
" lovely poetry, remembered chilhood poems, enjoyed reading it ya"
regards
केशव जी, सच में बहुत हीं प्यारी कविता है।
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
ओये क्या कविता लिखी केशव जी मजा आ गया.बहुत अच्छे,बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
गुडिया रानी जैसी ही प्यारी कविता है
keshav ji waakayee bahut achhi kavita hai, padh ker bahut achha laga.
badhayee sweekaren.
कर्ण जी,
जितनी सुन्दर गुड़िया रानी
उतनी सुन्दर बनी कहानी
पढ़कर अपना बचपन जागा
मैं भी गुड़िया लेकर भागा
श्रीमती जी ने जब देखा
मस्तक पर खिंच गयीं कुछ रेखा
तुम भी.... के संग बात अधूरी
सच बचपन सौगात अधूरी
काश बुढ़ापे तक बचपन हो
तब जीवन सचकुच जीवन हो
मुझे रुलाता है ये बचपन
आखिर क्यूँ जाता है बचपन
आखिर क्यूँ जाता है बचपन
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