बसन्त पंचमी
आज बसन्त पंचमी है । आज का दिन माँ शारदा का दिन है। कहा जाता है कि आज के दिन माँ सरस्वती समुद्र मंथन द्वारा प्रकट हुई थीं । उनके हाथों में कमल,पुस्तक एवं माला थी । एक हाथ आशीर्वाद के लिए उठा था। ब्रह्मा जी ने उनका अभिवादन कर वीणा-वादन का निवेदन किया ताकि संसार की नीरवता दूर हो सके। देवी की वीणा की मधुर झंकार से सभी जीवों को वाणी प्राप्त हुई। तभी से माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना प्रारम्भ हुई।
देवी सरस्वती विद्या और ग्यान की अधिष्ठात्री देवी हैं । विद्यार्थियों को माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
बसन्त पंचमी को प्रकृति का उत्सव भी कहा जाता है। ऋतुराज बसन्त के आते ही प्रकृति दुल्हन की तरह सज जाती है। जो पेड़-पौधे सूख चुके होते हैं, बसन्त के आते ही पुनः उनपर यौवन आ जाता है।
बृज में इन दिनों भगवान श्री कृष्ण की आराधना में फाग गाया जाता है । इस दिन बासंती चावल या हलवा बनाया जाता है। बसन्त ऋतु में प्रकृति अपना पूर्ण ऋंगार करती है।इस दिन मंदिरों में भगवान प्रतिमा का बसंती वस्त्रों और पुष्पों से ऋंगार किया जाता है।
इस ऋतु में शरीर में नवीन रक्त का संचार होता है। आलस्य के स्थान पर चुस्ती आ जाती है। इस ऋतु में व्यायाम का भी विशेष महत्व होता है।
यह दिवस त्याग और बलिदान का भी प्रतीक है। वीर हकीकत राय का बलिदान दिवस भी यही दिन है। इसी दिन स्वतंत्रता का अलख जगाने वाले सत् गुरू रामसिंह का जन्म दिन भी होता है ।
इसी दिन यशस्वी कवि पं सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला का जन्म भी हुआ था।
बसन्त ऋतु से हमें बहुत सी शिक्षाएँ भी मिलती हैं - चारों ओर से हँसती बसन्त ऋतु संसार को हँसमुख रहने का संदेश देती है। वह सिखाती है कि समय के अनुसार जीवन में बदलाव भी लाना चाहिए। इस समय अणु-अणु में स्फूर्ति का संचार होता है। जीवन से निराशा दूर भगानी चाहिए।
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5 पाठकों का कहना है :
बहुत अच्छी जानकारी शोभा जी ..बच्चे इसको पढ़ के वसंत पंचमी के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं ..!!
शोभा जी, बहुत ही बढ़िया पोराणिक और नयी जानकारी का समावेश..
ज्ञानवर्धक लेख शोभा जी.
शोभा जी बच्चों को इतनी अच्छी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए शुक्रिया.
आलोक सिंह "साहिल"
बच्चों में संस्कार के बीज बोने के लिये ऐसी रचनायें आवश्यक हैं ।
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