माँ तुझको शीश नवाता हूँ
माँ तुझको शीश नवाता हूँ ।
माँ तुझको शीश नवाता हूँ ।
तेरे चरणों की रज पाकर,
अभिभूत हुआ मै जाता हूँ ।
माँ तुझको शीश नवाता हूँ । माँ ...
आशीष वचन सुन तेरे मुंह से,
मै फूला नही समाता हूँ ।
माँ तुझको शीश नवाता हूँ । माँ ...
ममता तेरी जब भी पाता,
मैं राजकुँअर बन जाता हूँ ।
माँ तुझको शीश नवाता हूँ । माँ ...
गम मुझको हैं छू नही पाते,
आंचल जब तेरा पाता हूँ ।
माँ तुझको शीश नवाता हूँ । माँ ...
अवगुन मेरे ध्यान न लाये,
मै हर दिन माफी पाता हूँ ।
माँ तुझको शीश नवाता हूँ । माँ ...
मेरी दुनिया तू ही माँ है,
तुझमें ही सब कुछ पाता हूँ ।
माँ तुझको शीश नवाता हूँ । माँ ...
कवि कुलवंत सिंह

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