स्कॉटलैंड के बच्चे
अवनीश एस॰ तिवारी इन दिनों स्कॉटलैंड में हैं। इन्हें बच्चों से बहुत प्यार है। बच्चे किसी देश की सीमा या परिधि से विभाजित नहीं होते | वे इस सब से अछूते रहते है और सभी को अच्छे लगते है | अवनीश जी ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर के खूबसूरत बच्चों के कुछ छाया चित्र खींची है और उनपर कुछ पंक्तियाँ लिख भेजी है।
ये विदेशी बच्चे गोरे चिट्टे, गोल-मटोल,
कभी चिल्लाते कभी धीरे से देते बोल,
भूरे-भूरे बाल सर पर बिखरे ,
देखो कैसा भोलापन इनका निखरे,
लप-लुप करती मटकती आँखे नीली,
गुलाबी गालों के बीच मुस्कान भी खिली,
डेविड, जोन और है स्वीटी,
रोजी, ट्विंकल के संग खेलती किटी,
मासूम, भोले इन बचपन को मैं निहारुँ,
क्लेशमुक्त इस जीवन पर अपना जीवन वारुँ|
-- अवनीश तिवारी
०९-०५-२००८





आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 पाठकों का कहना है :
जितनी अच्छे चित्र है उतनी ही अच्छी कविता, पढ़कर आनंद आ गया
bachcho ki tasveere bahut hi pyaari hai ,bas ham to itna hi kahenge ki bachche koi bhi ho ,maasoom aur har desh videsh ki seemaayon se pare hote hai tabhi to bachapan bhola hota hai , sach hi to kahte hai bachcho me bhagvaan ki moorat hoti hai .
सर पर भूरे भूरे बाल
कपोलों पर ज्यूँ लगा गुलाल
की देखो नन्हें से गोपाल
चलें सब मस्तानी सी चाल
कि स्वीटी किट्टी डेविड रोजी
टिवंकल जोन बडे मनमोजी
चेहरे प्यारे से मासूम
मन करता है लूँ जा चूम
उमडता है हर दिल में प्यार
देखकर बच्चों का संसार
स्कॉटलैड हो या जापान
भारत पाक या हो इरान
सीमा रेखा से अंजान
बच्चे माँ धरती के शान
अवनीश जी की क्लिक
और बच्चों की किलकारी
सुपर डुपर हिट और प्यारी
प्यारे बच्चों से मिलवाया
हम सब हैं आपके आभारी
अरे वाह अवनीश जी..खूब बहुत खूब
बच्चे तो बच्चे होते हैं ..और बहुत ही प्यारे होते हैं ..कविता बहुत अच्छी लगी चित्रों के साथ अपनी भी सैर हो गई वहाँ की :)
Tashwir aur kavita dono hi khubsurat hai bhai.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)