Saturday, February 28, 2009

हँसी का गुल्ला


हँसी का गुल्ला

मरीज -डॉक्टर मै कुछ बीमार सा हूँ ,मरीज ने जितने लक्षण याद थे डॉक्टर को बता दिए
डॉक्टर -तुम परहेज का ख़ास ख्याल रखो ,एक सप्ताह तक ऐसा हल्का भोजन करो ,जो एक वर्ष का बच्चा भी आसानी से पचा सकता हो
अगले दिन

डॉक्टर -तुम्हे एक साल के बच्चे वाला भोजन करने को कहा था ,किया?
मरीज -जी हाँ किया
डॉक्टर -क्या लिया
मरीज -थोडी सी मिटटी ,एक बटन ,नारंगी का छिलका ,एक शीशे की गोली




Friday, February 27, 2009

एयरो इंडिया शो में हुए हवाई करतब

नमस्कार प्यारे बच्चो ,
आज मैं आपको घुमाने ले चलती हूँ बंगलोर में हुए सातवें एयरो इण्डिया शो में यह शो बंगलोर के यलहन्का एयर-फोर्स स्टेशन में ११ फरवरी से १५ फरवरी तक पांच दिन तक चला जहां पर हमें भी एक दिन जाने आ अवसर मिला शो क्या था - देख कर किसी के भी रोंगटे खडे हो जाते खिलौनों की तरह आसमान में उडते हवाई जहाज़ उँचाई पर जाकर जब उलटे-सीधे , टेढे-मेढे जब करतब दिखाते तो किसी सागर मे तैरती हुई मछलियों की भान्ति प्रतीत होते और जब एफ-१८ विमान आसमान की उँचाई मे पांच किलोमीटर तक तीर की भान्ति सीधे ऊपर गया और देखते ही देखते हमारी आँखों से ओझल हो गया और फिर किसी दूसरी दिशा मे नीचे को आया तो ऐसा लगा मानो सागर में से कोई मछली उछल कर बाहर निकली हो और पानी में अठखेलियां कर रही हो विमानों की ते़ज़ आवाज़ किसी को भी अपने कान बंद करने पर मजबूर कर देती वहां पर २५ देशों की विमान कंपनियों ने अपनी-अपनी प्रदर्शनी भी लगाई थी आसमान मे घूमते विमान का अदभुत नजारा देख कर पूरा वातावरण तालियों और सीटियों से गूँजने लगता और तब तो वहां मौजूद हर किसी का मन भाव-विभोर हो उठा जब छ: विमान एक साथ आए और आसमान को तिरंगे के रंगों से भर दिया आस मान में चारों तरफ तिरंगा लहरा रहा था और तब वहां मौजूद लाखों दर्शकों का अपने देश और अपने तिरंगे के प्रति जो भाव उमडा वो शब्दों मे ब्यान नहीं किया जा सकता , केवल उसे महसूस किया जा सकता था कौन कहता है कि हमारे देश-वासियों को देश से प्यार नहीं...? हर कोई अपने हाथ मे कैमरे / मोबाईल पकडे उस अदभुत नज़ारे को कैद कर लेना चाह्ता था और सब ने अपनी-अपनी कोशिश से किया भी ऐसे ही कुछ नज़ारों को हमने भी अपने कैमरे में कैद किया और वो अनुभव मैं सबके साथ बांटना चाहुंगी ताकि अगली बार अगर मौका मिले तो आप भी इसका आनन्द ले सकें सच मे यह शो अगर नहीं देखा होता तो हम बहुत सारी बातों से अनभिज्ञ ही रह जाते उम्मीद है तस्वीरें देख कर आप भी उस दृश्य को कुछ तो महसूस कर पाएंगे
































Wednesday, February 25, 2009

मेरी माँ सिर्फ़ अच्छी है, सबसे अच्छी नहीं

आज मेरा स्कूल में पहला दिन था। टीचर बनना मेरा सपना था। आज वो सपना जब पूरा हुआ तो उत्साह की जगह एक अजीब सा डर लग रहा था। न जाने बच्चे कैसा व्यवहार करेंगे। मैं ठीक से पढ़ा पाऊँगी या नहीं, इसी तरह के बहुत से सवाल लिए मैंने क्लास में प्रवेश किया। मुझ को क्लास २ पढ़ाने के दी गई थी। इस क्लास में २० बच्चे थे। फूलों से मासूम बच्चे। इनको देख के तो मैं अपना सारा डर भूल गई। सभी बच्चों ने अपने नाम बताये। और अपनी जगह पर बैठ गए। तभी एक बच्ची ने उठ के कहा "मिस आप ने अपना नाम नहीं बताया"।
"अरे हाँ बच्चो, मैं अपना नाम बताना तो भूल ही गई। मेरा नाम सोनिया है।"
"बेटा आप अपना नाम फिर से बताइए"
''अन्वी" उसने कहा
"थैंक्स अन्वी कि आपने मेरा नाम पूछा"।
एक प्यारी से मुस्कान देकर वो बैठ गई। धीरे-धीरे सारे बच्चों से मेरी दोस्ती हो गई। उनकी प्यारी-प्यारी छोटी सी शैतानियाँ, मासूम सी परेशानियँ मेरा दिल मोह लेतीं। इतने दिनों में मैं सभी बच्चों के बारे में जान गई थी। सभी की पसंद-नापसंद। एक दिन मैं इंग्लिश पढ़ा रही थी। जब पढ़ा चुकी तो इरिक मेरे पास आया बोला "मिस अन्वी कहती है आप बहुत अच्छी नहीं है"
मैं अभी इरिक की बात सुन ही रही थी की अन्वी मेरे पास आई बोली "मिस आप अच्छी हैं पर बहुत अच्छी नहीं"
मैंने देखा अन्वी थोड़ा दुखी थी आगे ज्यादा पूछना मैंने उचित नही समझा।
"अन्वी कोई बात नही आप जा के अपना काम कीजिये"
अभी एक हफ्ते ही बीतें थे कि मदर्स-डे आ गया। मैंने सभी बच्चों से कहा "बच्चो, जैसाकि आप सभी जानतें हैं कि आज मदर्स दे है तो हम आज अपनी-अपनी माँ के बारे में बात करेंगे. आप सभी अपनी माँ की अच्छाई बतायेंगें"
सभी बच्चे बहुत खुश हुए। एक-एक कर के उन्होंने माँ के बारे में बताना शुरू किया। अन्वी की बारी आई उस ने भी सभी की तरह अपनी माँ की प्रशंशा की।
"तो अन्वी तुम्हारी माँ बहुत अच्छी है?"
"नहीं, मेरी माँ सिर्फ़ अच्छी है बहुत अच्छी नहीं"
मुझको पिछली घटना याद आ गई। लगा कुछ तो है पर अन्वी से पूछना आज भी ठीक नहीं लगा, कुछ दिनों बाद पेरन्ट्स-टीचर मीटिंग है, तब अन्वी की माँ से बात करूँगी। आज सुबह से ही सभी बच्चों के माता-पिता अपने-अपने समय पर आ रहे थे। उन सभी से मिल के बहुत अच्छा लगा। २ बजा और अन्वी की माँ ने कमरे में प्रवेश किया।
"आइये नीना जी कैसी हैं?"
"अच्छी हूँ।"
"आप बताइए"।
"ठीक हूँ। ये है अन्वी की आज तक की रिपोर्ट। सब कुछ बहुत अच्छा है।"
"आप को क्या लगता है क्या किसी विषय में मुझे उस पर अधिक ध्यान देना है"
नहीं, बिल्कुल नहीं सब बहुत अच्छा है बस एक बात आप से पूछना चाहती हूँ" और मैंने उनको सारी बात बता दी।
"ये बहुत अच्छा कहने पर अपसेट क्यों हो जाती है?"
ऐसा हुआ कि ये अपने दादी से बहुत लगाव रखती थी। जब उनकी मृत्यु हुई तो ये बहुत परेशान थी। मैंने उसको कहा कि जो लोग बहुत अच्छे होते हैं उनको भगवान अपने पास बुला लेता है। उनको भी कुछ अच्छे लोगों की जरूरत होती है न इसलिए ..अभी कुछ दिन पहले इस की मौसी भी एक बीमारी के कारण हम को छोड़ गई। वो भी इस को बहुत ही प्यारी थी, तभी से बहुत अच्छे कहने पर दुखी हो जाती है। हमेशा कहती है माँ तुम कभी भी बहुत अच्छी न होना नहीं तो भगवान तुम को भी अपने पास बुला लेंगे। आप से भी ये बहुत प्यार करती है इसीलिए आप को भी बहुत अच्छा नहीं कहती है।"
अन्वी की माँ के जाने के बाद न जाने कितनी देर मैं यूँ ही बैठी रही सोचा अन्वी के इस डर को हटाना होगा पर थोड़े समय बीतने के बाद।

----रचना श्रीवास्तव


Monday, February 23, 2009

महा-शिवरात्रि पर्व-कथा-काव्य

नमस्कार प्यारे बच्चो ,
आपको यह तो पता ही होगा कि आज महा-शिवरात्रि पर्व है और इस दिन लोग व्रत करते हैं , शिवालयों मे खूब पूजा होती है ,रात्रि जागरण होते हैं और सारा वातावरण शिव भक्ति से गूँज उठता है पर क्या आपको पता है कि शिवरात्रि का त्योहार इतनी धूम-धाम और श्रद्धा से क्यों मनाया जाता है इसके साथ बहुत सी कहानियां जुडी हैं पर मुख्य रूप से इसको शिव-पार्वती के विवाह के साथ जोडा जाता है यह त्योहार फाल्गुन मास की अमावस्या से एक दिन पहले मनाया जाता है बाकी सब कहानियां भी मै आपको समय मिलते ही सुनाऊंगी , आज सुनो शिव-पार्वती के विवाह की कहानी

महा-शिवरात्रि पर्व-कथा-काव्य

महा-शिवरात्रि आया
सब जन गन का मन हर्षाया
शिव रात्रि की सुनो कहनी
कथा बडी ही जानी मानी
शिवशंकर ने ब्याह रचाया
पार्वती को फिर अपनाया
त्याग दिया था जिसे स्वयं
लिया था फिर से उसने जन्म
एक बार की है यह बात
पार्वती-शिव घूमे साथ
दोनों इक जंगल में आए
राम-लखन जहां घूमते पाए
कर रहे सीता की तलाश
देखा शिव ने राम हताश
चुपचाप ही सर झुकाया
आगे का मार्ग अपनाया
पार्वती को आया क्रोध
करने लगी वो शिव का विरोध
हैं वो तो साधारण जन
और हो तुम स्वयं भग्वन्
फिर क्यों तुमने सर झुकाया
स्वयं को छोटा क्यों बनाया
राम प्रभु हैं बोले शंकर
इसीलिए तो झुकाया सर
जो न मेरा हो विश्वास
देख लो जाकर उनके पास
आया पार्वती को विचार
लिया रूप सीता का धार
आ गई वो श्री राम के पास
देख के हो गए राम उदास
बोले माँ तुम क्यों अकेली
बुझा रही क्या कोई पहेली
कहां हैं भग्वन भोले नाथ
आए नहीं क्यों तेरे साथ
सुनकर पार्वती ने जाना
नारायण श्री राम को माना
पर शिव जी को गुस्सा आया
रूप सिया का क्यों बनाया
सीता तो है मेरी माता
अब न मेरा तुझसे नाता
ऐसे पार्वती को त्यागा
तोड दिया बंधन का धागा
पार्वती यह न सह पाई
एक बार माँ के घर में आई
यज्ञ पिता ने घर में रचाया
पर शिवजी को नही बुलाया
हुआ था शिवजी का अपमान
दे दी पार्वती ने जान
जल कर वो सती कहलाई
अगले जन्म में फिर से आई
की बडी ही शिव की पूजा
नहीं चाहिए वर कोई दूजा
शिव शंकर संग ब्याह रचाया
शिव पत्नी का दर्जा पाया
आई फिर सुखों की दात्रि
होती है उस दिन शिवरात्रि

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महा-शिवरात्रि की आप सबको बधाई एवम शुभकामनाएं- सीमा सचदेव


हितोपदेश 14- लोमडी और कौआ

नमस्कार प्यारे बच्चो
आपने मेरी इससे पहले बहुत सी हितोपदेश की कहानियां पढी लेकिन आज पढ़ने के साथ-साथ देखिए भी

लोमड़ी और कौआ



जंगल में थी लोमडी एक
दिखने में लगती थी नेक
मीठी-मीठी बातें करती
नहीं कभी वो किसी से डरती
वहीं पे रहता था इक कौआ
बडा ही बेवकूफ था भैया
मीठी बातों मे आ जाता
और फिर बाद में वो पछताता
मिला पनीर उसको इक बार
आया कौए को विचार
क्यों न वह वृक्ष पर जाए
बैठ वहां पर मजे से खाए
पनीर को अपने मुँह में दबाया
कौआ उसी वृक्ष पर आया
देखा लोमडी ने पनीर
हो गई वो बडी गम्भीर
भर गया उसके मुँह में पानी
मन ही मन में घडी कहानी
आई वह वृक्ष के पास
बोली तुम हो कौए खास
कितना मीठा तुम गाते हो
सबके मन को भा जाते हो
कितना सुन्दर तेरा रूप
तुम तो हो जंगल के भूप
सच्ची मेरी जानो बात
पास तेरे उत्तम सौगात
गाओ जब तुम मीठा गीत
लेते हो सबका मन जीत
समझ के मुझको अपनी बहना
मानलो मेरा भी इक कहना
प्यारा सा इक गीत सुनाओ
रसमय वातावरण बनाओ
सुनकर यह कौआ यूँ फूला
पनीर का टुकडा उसको भूला
लोमडी ने उसको भरमाया
मीठी बातों में वह आया
लगा वो अपना गीत सुनाने
कांव-कांव गाकर चिल्लाने
जैसे ही उसने मुँह खोला
कांव-कांव जैसे ही बोला
धरती पर आ गिरा पनीर
लोमडी जो थी बडी अधीर
झपट के उसने पनीर उठाया
पलक झपकते ही सब खाया
खा कर लोमडी हुई रवाना
कौआ गाता रह गया गाना

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Saturday, February 21, 2009

कैसे बने सुंदर मन

सुमन (सु +मन ) बनाने के लिए अपनायिये-
विनम्रता ,अल्प संभाषण (कम बातचीत ),बड़ों का सम्मान व् उनकी आज्ञा का पालन करना ,व्यर्थ की बहस न करना ,जरा -जरा सी बात पर नाराज न होना ,अपने व् दूसरों के समय की कीमत समझना ,दूसरों की भावना की क़द्र करना ,अंहकार व् इर्ष्या से बचना ,कार्य को प्रसन्नता व् कर्तव्य समझ कर प्रभु को अर्पित करते हुए करना ,तनाव से मुक्त रहना ,सबके प्रति अपनेपन का भाव जताना ,स्वार्थ व् झूठ का सहारा न लेना न्याय का पक्ष लेना प्रेम ,सहयोग ,त्याग ,उदारता ,शांत मन ,योग व् क्षमा धारण करना आपका मन सुमन ( फूल ) की तरह खिल उठेगा जिसकी सुगंध ,औरों को भी खुशी , तथा प्रेरणा देगी "सुमन "

सौजन्य- भारतीय योग संस्थान


मुम्बई के बच्चों ने मनाया विश्व शांति समारोह : बाल समाचार

बच्चों,
ये खबर आप ही के लिये है। गत १२ फरवरी को नवी मुम्बई के डी.वाई पाटिल स्टेडियम में एअर इंडिया और डी वाई पाटिल टीम में क्रिकेट-स्पर्धा हुई जिसमें पाटिल टीम विजयी हुई। इस अवसर पर विभिन्न स्कूलों के सैकड़ों बच्चों ने विश्व शांति के लिये नृत्य किया। इस भव्य रंगारंग कार्यक्रम और बच्चों के खूबसूरत नृत्य को कैमरे में कैद करके भेजा है मंजू आंटी ने। आइये चित्रों में देखें इस कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ:








Friday, February 20, 2009

एयरो इंडिया में हुए हवाई करतब

नमस्कार प्यारे बच्चो ,
आज मैं आपको घुमाने ले चलती हूँ बंगलोर में हुए सातवें एयरो इण्डिया शो में यह शो बंगलोर के यलहन्का एयर-फोर्स स्टेशन में ११ फरवरी से १५ फरवरी तक पांच दिन तक चला जहां पर हमें भी एक दिन जाने आ अवसर मिला शो क्या था - देख कर किसी के भी रोंगटे खडे हो जाते खिलौनों की तरह आसमान में उडते हवाई जहाज़ उँचाई पर जाकर जब उलटे-सीधे , टेढे-मेढे जब करतब दिखाते तो किसी सागर मे तैरती हुई मछलियों की भान्ति प्रतीत होते और जब एफ-१८ विमान आसमान की उँचाई मे पांच किलोमीटर तक तीर की भान्ति सीधे ऊपर गया और देखते ही देखते हमारी आँखों से ओझल हो गया और फिर किसी दूसरी दिशा मे नीचे को आया तो ऐसा लगा मानो सागर में से कोई मछली उछल कर बाहर निकली हो और पानी में अठखेलियां कर रही हो विमानों की ते़ज़ आवाज़ किसी को भी अपने कान बंद करने पर मजबूर कर देती वहां पर २५ देशों की विमान कंपनियों ने अपनी-अपनी प्रदर्शनी भी लगाई थी आसमान मे घूमते विमान का अदभुत नजारा देख कर पूरा वातावरण तालियों और सीटियों से गूँजने लगता और तब तो वहां मौजूद हर किसी का मन भाव-विभोर हो उठा जब छ: विमान एक साथ आए और आसमान को तिरंगे के रंगों से भर दिया आसमान में चारों तरफ तिरंगा लहरा रहा था और तब वहां मौजूद लाखों दर्शकों का अपने देश और अपने तिरंगे के प्रति जो भाव उमडा वो शब्दों मे ब्यान नहीं किया जा सकता , केवल उसे महसूस किया जा सकता था कौन कहता है कि हमारे देश-वासियों को देश से प्यार नहीं...? हर कोई अपने हाथ मे कैमरे / मोबाईल पकडे उस अदभुत नज़ारे को कैद कर लेना चाह्ता था और सब ने अपनी-अपनी कोशिश से किया भी ऐसे ही कुछ नज़ारों को हमने भी अपने कैमरे में कैद किया और वो अनुभव मैं सबके साथ बांटना चाहुंगी ताकि अगली बार अगर मौका मिले तो आप भी इसका आनन्द ले सकें सच मे यह शो अगर नहीं देखा होता तो हम बहुत सारी बातों से अनभिज्ञ ही रह जाते उम्मीद है तस्वीरें देख कर आप भी उस दृश्य को कुछ तो महसूस कर पाएंगे









मीठी बोली


बोली में रस घोलना
सदा मधुर है बोलना
तोल मोल के बोलना
दिल के धागे खोलना
गांठ में बात बांध लो
बात न लौटे जान लो
मीठी वाणी फूल है
गुस्सा करना भूल है
सच इसका आधार है
प्रेम वचन शृंगार है
बोलो सबका हो भला
कर सके न कोई गिला
झूठ वचन इनकार हो
सच्चाई से प्यार हो
झूठ दुखों का मूल है
दिल में चुभता शूल है
कड़वा कभी न बोलना
बात को पहले तोलना
बोली है आराधना
सरस्वती की साधना
मीठी बोली सीख लो
लोगों के दिल जीत लो
कवि कुलवंत सिंह



Wednesday, February 18, 2009

खिजाब लगाने वाले

खिजाब लगाने वाले
वृधावस्था में अकबर खिजाब लगाया करते थे एक बार खिजाब लगाने के दौरान उन्होंने बीरबल से पूछा -"बीरबल ! खिजाब दिमाग को नुकसान तो नही पहुंचाता ?"

बीरबल चुप रहे क्या जवाब देते जो जवाब देते ,वह बादशाह को पसंद न आता ,इसलिए वे चुप ही रहे

बादशाह अकबर ने सोचा की शायद बीरबल के पास इस सवाल का जवाब नही है और इस सवाल को लेकर बीरबल का मजाक बनाया जा सकता है

अत: उन्होंने फिर पूछा -"बताओ न खिजाब लगाने से दिमाग को नुकसान तो नही पहुचता? "

अब बीरबल से न रहा गया तपाक से बोले - "हुजूर !खिजाब लगाने वालों के दिमाग ही नही होता यदि होता तो

क्यों बनावटी सुन्दरता को लादकर बूढे से जवान बनते "

यह उत्तर पाकर अकबर बादशाह चुप हो गए बीरबल ने अपने जवाब में उनकी ओर संकेत कर दिया था कि उनमे दिमाग नही है मगर उनका उत्तर था बिल्कुल ठीक

अत: अकबर ने उस दिन से खिजाब लगाना छोड़ दिया


Monday, February 16, 2009

चन्दा मामा







Sunday, February 15, 2009

कोयल


कोयल
पात पुराने जब झड़ जाते,
निकल नए पत्ते तब आते,
हरी-भरी डाली के ऊपर
बैठी कोयल गाती है -
कूऊ-कूऊ-कूऊ-कूऊ-कूऊ


कोयल तन की काली है ,
पर मन की मतवाली है ,
हरे -भरे पत्तों में छिपकर
मीठे बोल सुनाती है -
कूऊ- कूऊ-कूऊ-कूऊ-कूऊ



इस फुनगी से उस फुनगी पर
तेजी से उड़ जाती फर-फर
नक़ल करो उसकी बोली की,
तो वह सुनकर अपनी बोली है
फिर-फिर से दुहराती है
कूऊ- कूऊ-कूऊ-कूऊ-



हरिवंश राय बच्चन जी की कविता आपको कोयल की याद दिलाएगी, इसी उम्मीद के साथ,


तुम्हारी नीलम आंटी


Saturday, February 14, 2009

नाजिम जी और मनु जी बुद्धू घोषित किए जाते हैं


राघव जी बुद्धिमान ,व् तपन जी सर्व श्रेष्ठ प्रतिभागी घोषित किए गए हैं ,इस बार भी ,

पहेलियों के उत्तर कुछ इस प्रकार हैं ,आप सभी का उत्साह अच्छा लगा ,आशा है अगली बार कुछ और प्रतिभागी भी
भाग लेंगे ,
१) बुरे बचन , नैन
२)किताब
३)पसीना
४)जलेबी
५)परछाई

नाजिम जी व् मनु जी अन्यथा न ले प्रतियोगिता में भाग लेने के नियमों का पालन न करने पर आपको इस विभूति से सुसोभित किया गया है ,बच्चों की दुनिया में कोई बड़ा नही कोई छोटा नही ,यह तो हम सबको ही पता है


Friday, February 13, 2009

प्रेम दिवस के त्योहार का उपहार नन्हे-मुन्नों के लिए

नमस्कार प्यारे बच्चो ,
आपको पता है कल कौन सा दिन है....जी हां कल प्रेम दिवस है और जिससे प्रेम करते है ,उसे उपहार देते हैं और उसकी हर खुशी की शुभ-कामना करते है , तो हम भी जिससे सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं ,उनको हम भी उपहार देन्गे आपको पता है वो कौन हैं.....? जिन्हें हम खुद से भी ज्यादा प्यार करते हैं , जिन्हें देखकर हम बिल्कुल बच्चे बन जाते हैं और जिन्हें देखकर खूब भागने , दौडने , मस्ती करने और खूब सारा खेलने को मन करता है ......बिल्कुल ठीक समझे आप , वो हैं - आप लोग नन्हे-मुन्ने छोटे-छोटे ,प्यारे-प्यारे अपने परिवार से बाहर निकल हमें दुनिया मे कोई सबसे सुन्दर , सबसे प्यारा , सबसे कोमल , निर्मल , पावन अगर कुछ दिखता है तो वो हैं नन्हे-मुन्ने बच्चे , और इस प्रेम के दिवस पर हम आपको बस शुभ-कामनाएं ही दे सकते हैं , और ईश्वर से आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए क्यों न हम ईश्वर से प्रार्थना करें , सुनिए आपभी और प्रार्थना कीजिए हमारे साथ कि सभी बच्चों का जीवन सुखमय हो




प्रेम दिवस की शुभकामनाएं


परोपकार

परहित जैसा धरम न कोई,
सब करते गुणगान ।
सब धर्मों में सार छिपा है,
सेवा यही महान ।

जिसने भी इसको अपनाया
चला ईश की राह ।
सत्य, अहिंसा, दया भावना,
इसी राह की चाह ।

धन वैभव का मोल नही कुछ,
किया न पर उपकार ।
ज्ञान, ध्यान की क्या है कीमत
किया न कुछ उपकार ।

जग में जीवन सफल उसी का
करता जो उपकार ।
मिलता प्रेम, प्रसिद्धि उसी को
जग करता सत्कार ।

मानवता है इसका गहना
क्षमा, न्याय आधार ।
सत्कर्मों की बहती धारा
प्रेमपूर्ण व्यवहार ।

कवि कुलवंत सिंह


Thursday, February 12, 2009

हाथी बन गया साथी

हाथी बन गया साथी


जंगल मे रहता इक हाथी
नही बनता वो किसी का साथी
अकेले ही जंगल मे घूमता
बाकी सबको को छोटा कहता

मुझ सा जंगल मे न कोई
सोच के सब मर्यादा खोई
मैं तो सबसे बड़ा यहां पर
कर सकता हूँ राज जहाँ पर

जो कोई भी मुझसे टकराए
वो तो बस मुँह की ही खाए
क्यो मैं इनको समझूँ साथी
नही हो सकता मैं जजबाती
अपने में खुश होता रहता
स्वयं को ही बलशाली कहता
पर इक दिन इक वृक्ष के नीचे
सोया था हाथी आँखें मीचे
चींटी इक ऊपर से गिर गई
और हाथी के कान मे पड़ गई
भागा इधर-उधर वो हाथी
पर कोई नही था उसका साथी
आ के कौन अब उसको बचाता
नही था उसका किसी से नाता
चींटी जब हाथी को काटे
तड़प के हाथी मारे लातें
गया वो सबके पास वहां पर
मिलकर बैठे सारे जहां पर
हाथ जोड़ कर बोला हाथी
समझो मुझको अपना साथी

अब तुम मेरी जान बचा लो
कान से मेरे चींटी निकालो
सुन कर हँसने लगे थे सारे
दिख गए हाथी को दिन मे तारे
पर इक चूहा समझदार था
उन सबमें से होशियार था
उसने उन सबको समझाया
अच्छाई का नियम बताया

आड़े वक़्त मे काम जो आए
वही सबसे अच्छा कहलाए
आयें हम हाथी के काम
होगा अपना भी ऊँचा नाम

सबको बात समझ में आई
हाथी के संग की भलाई
सबने चींटी निकाली मिलकर
मिली राहत उसको अब जाकर
आई हाथी की जान मे जान
पकड़े उसने अपने कान
अब मैं तुम संग मिल के रहूँगा
कभी न किसी को बुरा कहूँगा
.....................
.....................
रहेगा मिलकर सबसे हाथी
अब वो बन गया सबका साथी
.....................
.....................
बच्चो तुम भी मिलकर रहना
कभी किसी को बुरा न कहना
बुरे वक़्त मे काम जो आए
वही सच्चा साथी कहलाए
*************************


Wednesday, February 11, 2009

नीलम ने फिर से पूछी पहेलियाँ याँ -याँ-याँ -याँ-याँ

नीलम ने फिर से पूछी पहेलियाँ याँ -याँ-याँ -याँ-याँ

सबसे पहले उत्तर देने वाला बुद्धिमान , उसके बाद उत्तर देने वाले को सामान्य बुधि का घोषित किया जायेगा ,उत्तर न देने वाला पूर्णतया बुद्धू माना जायेगा ,सभी सही उत्तर देने वाले को सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागी घोषित किया जायेगा

१)ना छुरी ना बांक है ,
ना तलवार ना तीर
जाको लागे चुभि उठे ,
बेधत सकल शरीर

२)उजली धरती काला
बीज ज्ञान बांटने वाली चीज

३)धूप लगे सूखे नही ,
छांह लगे कुम्हलाय
कहो कौन सी चीज है ,
पवन लगे मर जाय

४)गहना तेरे आठ गाँठ का ,
गाँठ गली में रस
जो इसको न बुझे,
वो गाली पाए दस

५)आठ कुल्हाडी नौ तलवार ,
सबकी वो सह लेती वार ,
चाहे भागो साथ वो रहती ,
राजा रंक सभी को गहती



Monday, February 9, 2009

मन चंगा तो कठौती में गंगा

मन चंगा तो कठौती में गंगा
प्यारे बच्चो , आपने अकसर यह शब्द अपने बडों के मुख से सुने होंगे पर क्या आप जानते है
यह शब्द किसके कहे हुए हैं और इनका अर्थ क्या है ...?
चलो आज मै आपको इनके बारे में बताती हूँ यह शब्द श्री गुरु रविदास जी के है आज गुरु रविदास जी ज्यंती भी है
उनका जन्म हर वर्ष माघ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है आप का जन्म पंद्रहवीं शताब्दी में हुआ आपको पता है ...गुरु रविदास जी जाति से चमार थे और जूते बनाने का कार्य करते थे लेकिन फिर भी उन्होंने अपने उच्च कर्म से जाति-पाति के भेद-भाव को मिटाने , भाईचारे और प्रेम-प्यार से रहने का संदेश दिया जिसकी आज के युग मे सर्वाधिक आवश्यकता है
आप धन से अवश्य गरीब थे लेकिन मन से उन जैसा धनी कोई विरला ही होता है गरीबी मे रहते हुए भी अपने सच्चे कर्म को ही उन्होंने प्राथमिकता दी लोग उनकी दीन-हीन हालत देखकर उन पर हँसते और बहुत लोगों ने तो उन्हें इस दीनता से निकालने के लिए धन देने का प्रयास भी किया
लेकिन गुरु जी ने कभी उसको स्वीकार नहीं किया आप बाहरी आडम्बरों से दूर रहते हुए अकसर कहते थे कि :-
मन चंगा तो कठौती मे गंगा
कि अगर मन साफ है तो उस कठैती मे भरा हुआ पानी भी गंगा जल सदृश्य है जिसमें वह जूतों के लिए चमडा भिगो कर रखते हैं
आओ मै आपको उनके जीवन से जुडी कुछ और बातें बताती हूँ
1 कहते है एक बार कुछ साधू जो कि हरिद्वार जा रहे थे ,वो रास्ते मे गुरु रविदास जी के पास आए तो गुरु जी ने उन्हें एक टका ( एक पैसा )
गंगा मैया की भेंट हेतु दिया जब वो हरिद्वार पहुँचे और गंगा जी में अपनी भेंट देने के उपरान्त गुरु जी का दिया टका गंगा मे भेंट करने लगे तो गंगा मैया ने
हाथ निकाल कर अपने हाथ मे वह भेंट स्वीकार की
2 एक और कथा के अनुसार मीराबाई जो श्री कृष्ण जी की अनन्य भक्त थी ने गुरु रविदास जी को अपना गुरु माना था और गुरु जी की दीन हालत देखकर उन्होंने
गुरु जी को बहुमूल्य हीरा कोहेनूर हीरा ( जो आजकल इण्गलैंड की महारानी के ताज की शोभा है ) भेंट मे दिया , पर गुरु जी ने उसे स्वीकार नहीं किया तो मीरा बाई ने
वह हीरा उनकी झोंपडी में टांग दिया कि जब गुरु जी को आवश्यकता होगी तो उसको बेचकर धन हासिल कर लेन्गे लेकिन काफी समय बाद जब मीरा बाई जी दोबारा गुरु जी के
दर्शनार्थ आईं तो उन्होंने देखा कि गुरु जी तो अभी भी वही जीवन जी रहे हैं मीरा बाई के पूछने पर गुरु जी ने कहा कि उनके पास ईश्वर के नाम का असली हीरा है तो उशें इन हीरों की क्या आवश्यक्ता

3.एक और दन्त कथा के अनुसार एक बार किसी ने गुरु जी को पारस पत्थर भेंट किया जिससे छूकर लोहा भी सोना बन जाता है गुरु जी ने उसे अपने झोंपडी के कोने मे टांग दिया
जब गुरु जी के रहन-सहन में कोई परिवर्तन नहीं आया तो उन्होंने गुरु जी से पूछा कि वह पारस पत्थर का उपयोग क्यों नहीं करते तो भी उन्होंने यही कहा कि ईश्वर नाम जैसा अमूल्य रत्न
के सम्मुख यह पत्थर कुछ भी नहीं

4.कहते हैं गुरु जी के जीवन काल में उनकी प्रसिद्धी दूर्-दूर तक हो गई थी और यह देख कर ब्राहमण उनसे द्वेष भाव रखते थे एक बार उन्होंने गुरु जी के विश्वास की परीक्षा लेने और उन्हें नीचा दिकाने के उद्देश्य से उन्हे अपने सालिग्रम ( एक पत्थर , जिसमे गुरु जी ईश्वर का रूप देखते थे और जूते बनाने में जिसका प्रयोग करते थे ) को पानी मे तैरा कर दिखाने की चुनौती दी पंडितों नें अपनी अपनी मूर्तियां भी पानी में बहाईं परन्तु कोई भी मूर्ति पानी पर नहीं तैरी , जब गुरु जी के सालिग्रम को नदी में फैंका गया तो यह देख कर सब हैरान रह गए कि वह पत्थर पानी पर तैरने लगा ब्राहम्ण अपने किए पर बहुत शर्मिन्दा हुए

5.एक और कथा के अनुसार एक बार गुरु जी की महिमा सुन चितौड की महारानी ने उन्हें बुलाया जहां उन्होंने बहुत सारे ब्राहम्णों को भी खाने पर बुलाया हुआ था गुरु जी जब वहां पहुँचे तो ब्राहम्णों ने गुरु जी के साथ बैठकर भोजन करने से इन्कार कर दिया इस पर ब्राहम्णों को अलग पंक्ति में बैठाया गया ,लेकिन जब भोजन करने लगे तो उन्होंने देखा कि सभी कि बाजु मे गुरु रविदास जी बैठे हुए हैं तो ब्राहम्णों को अपनी गलती का अहसास हुआ


इस तरह गुरु जी ने जाति-पाति ऊँच-नीच के भेद-भाव

को मिटा प्रेम-प्यार से रहने का संदेश दिया


श्री गुरु रविदास ज्यंति की हार्दिक बधाई



Sunday, February 8, 2009

गलती मानना सीखो

मनुष्य गलतियों का पुतला है

हमसे -आपसे अनेक गलतियां
होने की संभावना बनी ही रहती है

आपसे भी गलती हो जाए तो
उसे तुंरत स्वीकार कर ले
गलती को गलती न मानकर
तर्कों से स्वयम को सही सिद्ध
करने का प्रयास
हमारा पतन करता है तथा
वह गलती जीवन भर नही सुधरती
तत्काल अपनी गलती मानकर
भविष्य में सावधान रहने
की भावना से आपकी
उन्नति निश्चित है

साभार
भारत का भविष्य हमार बच्चे (भारतीय योग संस्थान)


Friday, February 6, 2009

सदा खुश रहो

खुशी मनाओ दिन औ रात ।
जाड़ा, गरमी हो बरसात ॥

खुशी बने जीवन का भाग,
खुशी ही हो जीवन का राग,
खुशियों से मिलता अनुराग,
खुशियों से जागे सौभाग,

खुशी है अनमोल सौगात ।
खुशी लगे नवदिवस प्रभात ॥

दुश्मन हों कितने ही पास,
देते हों कितना ही त्रास,
करना चाहें भले विनाश,
फिर भी मुख पर रखो हास,

खुशियों की है अपनी बात ।
सूरज छिपता काली रात ॥

खुशियों से बढ़ता है प्यार,
रहे न तन में कोई विकार,
मन में खिलते पुष्प विचार,
जीवन महके बाग बहार,

खुशियों से मिटते आघात ।
खुशियां ने देखें कोई जात ॥

खुशियों से मिट जाएं रोग,
रहे न मन में कोई सोग,
खुशी मनाते हैं जो लोग,
काया हर पल रहे निरोग,

चाहे भूलो सारी बात ।
खुशी मनाओ दिन औ रात ॥

कवि कुलवंत सिंह


Tuesday, February 3, 2009

बच्चे मन के सच्चे

नमस्कार बच्चो
बच्चे मन के सच्चे ,यह सदाबहार गीत हम तब से सुनते आ रहे है ,जब हम बहुत छोटे थे ,बिल्कुल आप जैसे आज भी यह गीत उतना ही मधुर लगता है जितना तब लगता था , आज बहुत देर बाद यह गीत फ़िर से सुना तो अपने बचपन की यादें ताज़ा हो आई ,तो सोचा आपको भी क्यों न यह प्यारा सा गीत सुनाया जाए


ऋतुओ की रानी

ऋतुओ की रानी

धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी

छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमन्ग छाई हर मन मे

लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँ

देखो नभ मे उडते पतन्ग
भरते नीलगगन मे रन्ग
देखो यह बसन्त मसतानी
आ गई है ऋतुओ की रानी


Monday, February 2, 2009

पढ़ना आसान है


प्यारे बच्चों
आज मैने श्री विकेश बेनीवाल जी की एक किताब पढ़ी, उसके कुछ अंश मुझे बहुत अच्छे लगे। आपके साथ बाँटना चाहती हूँ। पढ़ें और बताएँ कि आपको कैसा लगा।
आपको शायद मेरी बात अटपटी लगे लेकिन वह सत्य है कि पढ़ना आसान है और मैं इसे सिद्ध भी कर सकता हूँ। अच्छा चलिए यह बताइए कि जो बच्चे पढ़ते नहीं वे क्या करते हैं ? ढ़ाबों पर बर्तन साफ करते हैं, घरों में झाड़ू-पोंछा लगाते हैं, रिक्शा चलाते हैं या इसी तरह के कुछ और काम करते हैं जैसे बेलदारी करना, वज़न ढोना, मालीगिरी करना, सड़क बनाना आदि-आदि। अब आप खुद सोच कर देखिए कि यह सब आसान है या पढ़ना ? जो बच्चे नहीं पढ़ते उन्हें ऐसे ही काम करने पड़ते हैं। इस बात को दिमाग में बैठा लो कि पढे-लिखे लोग ज्यादा सुखी, ज्यादा मज़ेदार,ज्यादा आनन्दमय, ज्यादा सम्मानित तथा ज्यादा शान्ति पूर्ण जीवन जीते हैं। तो आप सब भी अच्छा और सुखी जीवन जीना चाहते हैं ना ? फिर देर किस बात की है। उठाओ किताबें और कर दो पढ़ना शुरू। भगवान आपकी मनोकामना पूर्ण करेगा।
साभार
(उठो जागो और बढ़े चलो )
लेखक-विकेश बेनीवाल


Sunday, February 1, 2009

नम भूमि दिवस

नमस्कार बच्चो,

हर वर्ष २ फरवरी का दिन विश्व भर मे नम भूमि दिवस के रूप मे मनाया जाता है यह दिन पानी की महत्ता को दर्शाने और लोगो को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है हम अकसर देखते है कि कही अधिक वर्षा के कारण बाढ तो कही पानी की कमी के कारण सूखे जैसी आपदाओ का सामना करना पडता है, फलस्वरूप अनगिनत जीवो का जीवन नष्ट हो जाता है या फिर खतरे मे पड जाता है हमारा यह जीवन पानी पर निर्भर है लेकिन जब यह बाढ के रूप ले लेता है तो तबाही का कारण बनता है और जब इसकी कमी हो तो भी न जाने कितनी जिन्दगिओ को लील लेता है और उसका परिणाम हमे खूब जान-माल की हानि उठा कर भुगतना पडता है लेकिन अगर हम सब थोडी सी समझदारी अपनाएं और अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझे तो हम बाढ और सूखे जैसी कुदरती आपदाओ से तो बच ही सकते है, साथ ही साथ हम उन जीवो की भी सुरक्षा कर सकते है जो पानी पर निर्भर है और अपने दूषित होते पर्यवरण को भी बचा सकते हैं।

पानी अनमोल है, इसको हम बडे तालाबो और झीलो आदि मे इक्कठा कर सकते है यह तालाब और झीले वर्षा आदि का पानी अपने मे समा लेने मे सक्षम होते है जिससे बाढ जैसी आपदा से बचा जा सकता है तो दूसरी ओर जहां पानी की कमी पाई जाती है वहां पर भी इन बडे-बडे तालाबों मे पानी इक्कठा करके रखा जा सकता है और फिर उसका प्रयोग आसानी से किया जा सकता है इस तरह से सूखे जैसी समस्या से भी निपटा जा सकता है इतना ही नही इस पानी मे उन जीवो को भी जीवन मिलता है जो पानी मे पलते है और जंगलो मे जहां पर दूर-दूर तक पानी नही मिलता वहां पर ऐसे तालाब जंगली जीवो की प्यास बुझाने हेतु वरदान साबित होते है इतने के साथ हम भी तो किसी झील के किनरे अगर शान्त वातावरण मे जाकर बैठे तो एक अदभुत सी शीतलता का अनुभव करेन्गे बस जरूरत है और हमारी नैतिक जिम्मेदारी है इनकी संभाल और सुरक्षा , हम अपने थोडे से योगदान से कई जिन्दगियां बचा सकते हैं, अपनी धरा को सुन्दर और वातावरण को स्वच्छ बना सकते हैं।

आओ मेरे साथ हम भी अनमोल पानी को बचाने मे अपना सहयोग दे , हमारा योगदान किसी को जिन्दगी दे सकता है , बस हमे संकल्प लेना है-पानी बचाने का हम छोटी-छोटी बातो का ध्यान रख कर भी पानी बचा सकते है , जैसे-

१, स्नान करते समय उतना ही पानी ले , जितना आवश्यक हो
२. ब्रश करते समय पानी किसी बर्तन मे ले , न कि नल खुला छोडे
३.अपने बगीचे मे पानी शाम के समय ही दे
४.किसी तालाब या जमा हुए पानी को गन्दा न करे
५. अपने घर के बागीचे मे जीवो मे एक छोटा तालाब बनाएं ,जिसमे जीव पानी पी सके
तो आप आईए मेरे साथ हम भी मिलकर संकल्प ले पानी को बचाने का

(क)
पानी तो अमृत का घोल
हर बूँद इसकी अनमोल


(ख)
कभी न गन्दा करना पानी
यह तो देता है जिन्दगानी


(ग)
पानी की जो करें संभाल
तो जीवन होगा खुशहाल


(घ)
अपनी जिम्मेदारी निभाएं
पानी से जीवो को बचाएं 


इसके लिए मेरी अन्य रचनाएं पढे:-
पानी है अनमोल
पर्यावरण का रखो ध्यान
पर्यावरण बचाओ अभियान
जीव बचाओ अभियान

आप सब मुझे अवश्य बताना कि हम पानी की संभाल और सुरक्षा मे अपना योगदान कैसे दे सकते है?