सपने
प्यारे बच्चों, सुनो सुनो
दुनिया अपनी चुनो चुनो,
तय कर लो कि क्या करना है,
फिर सपने बुनो बुनो
ऊन के गोले सोच तुम्हारी,
स्वेटर जैसे सपने हों,
मेहनत, हिम्मत बनें सलाई
प्यारे सपने बुनो बुनो
चाँद की बुढ़िया दादी ने
एक तोहफ़ा भिजवाया है,
सारे तारे आज तुम्हारे,
अपना तारा चुनो चुनो
जो चाहोगे, वो पाओगे,
ना चाहोगे, खो जाओगे,
परियाँ सच में मिलती हैं,
बस तुम सच गुनो गुनो
सपनों की ये नई कहानी,
कोई सपना नहीं है पानी,
अमृत है, पी लो, जी लो
सपनों की तुम सुनो सुनो
प्यारे बच्चों, सुनो सुनो
दुनिया अपनी चुनो चुनो,
तय कर लो कि क्या करना है,
फिर सपने बुनो बुनो

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
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कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
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बच्चो,
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10 पाठकों का कहना है :
गौरव जी
बहुत सुन्दर रचना है। बधाई हो। परंतु यदि इसमें कुछ चित्र होते तो सोने पर सुहागा हो जाता क्योकि बच्चो को कविता के साथ साथ चित्र अच्छे लगते है।
"सपने जीवन की प्रगति का सूत्र हैं" यह बात आपने अपनी कविता में अच्छे ढंग से बताई है। प्रेरक कविता के लिए बधाई।
बहुत अच्छी कविता. गौरव जी, बाल उद्यान बहुत ही खूबसूरत जगह है.....इतना अच्छा ब्लॉग लिखने के लिए धन्यवाद.
एक बात और कहना चाहूंगा;
बच्चों की कविता लिखें
उनकी बातें ही रखें
बच्चों को न दें उपदेश
उन्हें मिले केवल संदेश
कविता हो प्यारी-प्यारी
जैसे फूलों की क्यारी
क्यारी के इन फूलों को
बच्चे ख़ुद ही चुन लेंगे
फूलों में बिखरे संदेश
अपने आप ही गुन लेंगे.
अच्छी कविता है नए सपने सजाती हुई सी ...कुछ चित्र लगा देते क्यूंकि बच्चे चित्र कि भाषा बहुत जल्दी समझ जाते हैं .......
बच्चे और उनके नन्हे नन्हे सपने सच में बहुत सुंदर होते हैं .बस जरुरत है उनको सही दिशा में देखने की , दिखाने की ..बधाई ..एक अच्छी रचना के लिए !!
बहुत सुन्दर रचना है।
आपने अच्छे सपने बुनवाये हैं बच्चों से। वैसे मैं शिव कुमार मिश्रा जी के विचारों से सहमत हूँ कि रचनाओं में उपदेशात्मकता से बचना होगा।
मुझे यह पंक्ति बहुत बढ़िया लगी-
ऊन के गोले सोच तुम्हारी,
स्वेटर जैसे सपने हों,
मेहनत, हिम्मत बनें सलाई
प्यारे सपने बुनो बुनो
चाँद की बुढ़िया दादी ने
एक तोहफ़ा भिजवाया है,
सारे तारे आज तुम्हारे,
अपना तारा चुनो चुनो
गौरव जी,
सुन्दर कविता जिसमें एक सार्थक संदेश भी है बच्चों के लिये और बडों के लिये भी.
शिक्षा प्रद रचनाओं मे से एक है ये...
शानू
सुंदर कविता के लिये बधाई! वैसे मेरे विचार में भी बच्चों को सीधे-सीधे उपदेश देने की बजाय बेहतर होगा कि उन्हें ऐसे प्रसंग या कहानियाँ सुनायीं जायें जो उन्हें स्वयं प्रेरित करें.
गौरव जी,
बहुत सुन्दर रचना है।
प्रेरक कविता के लिए
बधाई
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