जादू की छडी (गद्यात्मक कहानी )
आज मै सुनाऊंगी आपको एक गुडिया की कहानी ।
एक बहुत प्यारी सी छोटी सी गुडिया थी । एक बार जब वह सो रही थी तो उसने एक बडा प्यारा सा सुन्दर सा सपना देखा । सपने में वह अपने घर की छत पर पहुंच गई और उसने देखा कि धरती पर आसमान से फ़ूल गिर रहे हैं , टिम-टिमाते तारे उसे देखकर खिल-खिलाकर हंस रहे हैं और उसने अपनी तरफ़ आती हुई एक उडन-तशतरी भी देखी । उस उडन तशतरी मे एक सुन्दर सुन्दर पंखों वाली परी को भी देखा ।
परी ने गुडिया को अपने पास बुलाया ,अपनी गोदि में बैठाकर उडन-तशतरी से सारा आकाश घुमाया । उसको चन्दा मामा से भी मिलवाया और ढेर सारे खिलौने दिए । गुडिया ने नभ में बडे मनमोहक नजारे देखे । परी ने अपनी छडी घुमाई और देखते ही देखते परी लोक में पहुंच गई । सुन्दर सुन्दर पंखों वाली उडती हुई परियां देखकर तो गुडिया हैरान रह गई और मन ही मन सोचने लगी कि काश ! वह भी परी बन जाए ,तो कितना मजा आए ।
गुडिया के मन की बात परी ने झट से समझ ली और गुडिया को समझाया :-
देखो तुम भी तो एक परी हो धरा लोक की । तुम्हारे पास भी तो अदभुत शक्ति है-तुम्हारी बुद्धि । तुम अपनी बुद्धि से जीवन मे हर कार्य संभव कर सकती हो । भले ही हम परियां हैं पर हमारे मन में भी तो अरमान हैं । हम भी तुम्हारी तरह मां का प्यार चाहती हैं । हमारा भी मन करता है कि हमारे पापा हमें सुन्दर से उपहार लाकर दें , पर वो सब तो तुम्हें ही मिल सकता है । अब तुम धरती पर जाओ और अपनी बुद्धि से हर कार्य करो तो तुम्हें जिन्दगी में हर कदम पे सफ़लता मिलेगी । तुम्हारे पास बुद्दि रूपी जादु की छडी है ।
गुडिया को परी की सारी बातें समझ में आ गई ,और मन ही मन मुस्काने लगी । इतने में गुडिया को मां ने आवाज़ लगाई और उसे जगा दिया । गुडिया ने मां को परी वाला सारा सपना बताया और मां ने भी गुडिया को अपनी नन्ही परी कहकर प्यार से गले लगा लिया ।
बच्चो इस कहानी से आप भी समझना कि हमारे पास बुद्धि बल है और यही वो जादु की छडी है , जिससे हम हर सफ़लता हासिल कर सकते हैं ।
यह कहानी आपने कल काव्य शैली मे पढी आज गद्यात्मक रूप मे । निर्णय आपके हाथ कि कौन सा तरीका अच्छा है । मुझे आपके सुझावों का इन्तजार रहेगा ।
आपकी
सीमा सचदेव