भारत के आकाश बनें
 आसमान ने हाथों अपने,
आसमान ने हाथों अपने,
रंग-बिरंगा क्या पकड़ा है?
मास्साब जरा ये बतला दो,
ऊपर ही वो क्यों जकड़ा है ?
इन्द्रधनुष है प्यारे बच्चो,
जो वर्षा में  आता है,
आसमान की छवि वो आ कर,
रंग-बिरंगी कर जाता है ।
इतना बड़ा धनुष है लेकिन,
नीचे क्यों नहीं गिर जाता,
हम भी थोडा उससे खेलें
हमको क्यों है तरसाता।
किसी ने नहीं है इसको पकड़ा,
ये खुद आता-जाता है,
बारिश पीछे धूप जो निकले,
उससे ये बन जाता है।
धूप में रंग छुपे हैं सारे,
हमको नहीं कोई दिखता है,
बारिश की बूँदों से लेकिन,
छन के हर रंग निकलता है।
सात रंग हैं, सारे मिल कर,
सूरज के प्रकाश बनें,
आओ बच्चो मिल कर के,
हम भारत के आकाश बनें।
--डॉ॰ अनिल चड्डा
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
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कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
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कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ।
बच्चो,
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एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
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 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
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5 पाठकों का कहना है :
हर पंक्ति भावमयी , अंतिम पंक्ति में संदेश आकाश को छूने का दिया . अति सुंदर कविता है .आभार .
सुंदर कविता..
एक दम मस्त चित्र के साथ
इन्द्रधनुष है प्यारे बच्चो,
जो वर्षा में आता है,
आसमान की छवि वो आ कर,
रंग-बिरंगी कर जाता है ।
भावमयी सुंदर कविता!!
मंजूजी, मनुजी एवं विनोदजी,
आपको रचना पसन्द आई, मन हर्षित हुआ । प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद !
बढ़िया है चड्डा जी.
सात रंग हैं, सारे मिल कर,
सूरज के प्रकाश बनें,
आओ बच्चो मिल कर के,
हम भारत के आकाश बनें।
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