दीपावली और परम्पराएँ
प्यारे बच्चो,
दीपावली की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
आज लक्ष्मी पूजा है। आज अमावस की रात है। यह रात बहुत अँधेरी होती है इसलिए दीप जलाकर इसे रौशन किया जाता है और माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। घर सजाए जाते हैं तथा रात को लक्ष्मी का आह्वान किया जाता है । व्यापारी अपने बही खाते बदलते हैं। पूरे वर्ष का हिसाब लगाते हैं। आप सब मिठाइयाँ खाते हैं तथा एक दूसरे को उपहार देते हैं।
इस अवसर पर आतिशबाजी की भी परम्परा है। इसके साथ एक कथा भी जुड़ी है। कहा जाता है कि आज के दिन अयोध्या के राजकुमार राम अपना वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस आए थे। उस समय सभी ने घी के दिए जलाए थे और उनका स्वागत किया था। प्रकाश पर्व मनाया गया था।
इस दिन अनेक महान पुरूषों का निर्वाण हुआ था। महावीर स्वामी तथा स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने पंच
भौतिक शरीर को त्यागा था।
महापुरूष भी संसार में ज्ञान की ज्योति जलाते हैं। उनका प्रकाश आज भी हमें रौशनी देता है। इसलिए इस त्योहार को इसी भावना के साथ मनाना चाहिए। इस अवसर पर कुछ पंक्तियाँ सुनाना चाहती हूँ –
दीपावली नाम है प्रकाश का
रौशनी का खुशी का उल्लास का
दीपावली पर्व है उमंग का प्यार का
दीपावली नाम है उपहार का
दीवाली पर हम खुशियाँ मनाते हैं
दीप जलाते नाचते गाते हैं
पर प्रतीकों को भूल जाते हैं ?
दीप जला कर अन्धकार भगाते हैं
किन्तु दिलों में -
नफरत की दीवार बनाते है ?
मिटाना ही है तो -
मन का अन्धकार मिटाओ
जलाना ही है तो -
नफ़रत की दीवार जलाओ
बनाना ही है तो -
किसी का जीवन बनाओ
छुड़ाने ही हैं तो -
खुशियों की फुलझड़ियाँ छुड़ाओ
प्रेम सौहार्द और ममता की
मिठाइयाँ बनाओ।
समझे न आप लोग? मैं चाहती हूँ कि आप सब लोग इसे इसी भावना से मनाएँ। और पटाखे छुड़ाकर वातावरण को प्रदूषित ना बनाएँ। वायुमंडल दूषित होगा तो अनेक बीमारियाँ फैलेंगीं और बहुत से लोग दुःखी हो जाएँगें। फिर हम सबके दुःख का कारण बन जाएँगें। तो बच्चों मुझे वचन दो कि आप सब वातावरण को शुद्ध करेंगें अशुद्ध नहीं।
शुभकामनाओं सहित-
शोभा आन्टी

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2 पाठकों का कहना है :
आज मुझे काफी जानकारी मिली लक्ष्मी पूजा के बारे में। हम आज के युवक इन बातों को भूलते जा रहे हैं। धन्यवाद।
मुझे बहुत सारी जानकारी मिली
धन्यवाद।
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