मेहनत
मेहनत से मिले संसार ।
इसकी माया अपरंपार ॥
सुखमय जीवन का आधार ।
रहे न तन में एक विकार ॥
मेहनत से जो रहता दूर ।
कैसे पाए फल अंगूर ॥
बिन मेहनत न दिखे बहार ।
जीवन हो सूना संसार ॥
मेहनत से न होती हार ।
हर मुश्किल कर जाते पार ॥
मेहनत से मिलता उत्थान ।
जीवन बन जाता वरदान ॥
मेहनत से हो स्वस्थ शरीर ।
तन से पौरुष, मन से वीर ॥
मेहनत हो अपना ईमान ।
सत्कर्मों से बनें महान ॥
मेहनत से होता हर काम ।
कितना ही दुष्कर हो धाम ॥
पर्वत को भी देते फोड़ ।
धार नदी की देते मोड़ ॥
मेहनत से बन जाते भाग ।
जीवन में भर जाते राग ॥
जीवन उनका बनता गीत ।
करते जो मेहनत से प्रीत ॥
कवि कुलवंत सिंह

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2 पाठकों का कहना है :
मेहनत से होता हर काम ।
कितना ही दुष्कर हो धाम ॥
पर्वत को भी देते फोड़ ।
धार नदी की देते मोड़ ॥
उत्साहपूर्ण कविता
kulwant uncle ji ,thanku ji ,satsri akaal ji
नए प्रवाह से भरी कविता..
आलोक सिंह "साहिल"
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