हमको ऐसा वर दो.....
हमको ऐसा वर दो हे माँ वीणा वादिनी,
हम रहें करम में निरत,भक्ति में मस्त;
कार्य सिधह्स्त,गाएं जीवन की रागिनी
हमको ऐसा........................................
तू सरला,सुफला है माँ,माधुर मधु तेरी वाणी,
विद्या का धन हमको भी दो, हे माँ विद्या दायिनि
हमको ऐसा...................................................
हे शारदे,हँसासीनी,वागीश वीणा वादिनी,तुम
ग्यांन की भंडार हो,हे विश्व की सँचालिनि
हमको ऐसा............................................

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।




















धौली










लाल किले पर झूम तिरंगा,
नहीं खेलना हमको अब, पढ़ने में जुट जाना है.
आज २३ जनवरी है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म दिन। वे मानव नहीं महा मानव थे। उनमें इतने अधिक गुण थे, जो किसी एक इन्सान में संभव नहीं। जिस समय नेता जी का जन्म हुआ, भारत गुलाम था। अंग्रेज भारतीयों पर ज़ुल्म करते थे। स्कूलों में भारतीय बच्चों के साथ अन्याय होता था। बालक सुभाष को यह बहुत बुरा लगता। उन्होंने सदा निर्भीकता से इसका विरोध किया। वे दूसरे बच्चों की तरह नहीं थे। वे तो असाधारण बालक थे। कक्षा में सदा प्रथम आते और जब भी कोई अन्याय होता अपनी आवाज़ अवश्य उठाते थे। अंग्रेज भी उनकी बुद्धि की प्रखरता देख चकित रह जाते थे। प्रखर बुद्धि के साथ-साथ वे बहुत स्वाभिमानी भी थे। उन्हें अपना देश अपनी भाषा और अपनी संस्कृति से बहुत प्रेम था। इसी स्वाभिमान के कारण उन्होंने अपने पिता से कह दिया कि मैं मिशनरी स्कूल में नहीं पढ़ूँगा। और उन्होंने ऐसा किया भी।
सुभाष चन्द्र जी बोस महान
हर दिन रहे यूँ, 
नववर्ष 2009 है आया बच्चों
सुनकर चाँद ने यूँ फरमाया
विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को हुआ। उनका घर का नाम नरेंद्र दत्त था। उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेंद्र को भी अंग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढंग पर ही चलाना चाहते थे। नरेंद्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज में गए किंतु वहाँ उनके चित्त को संतोष नहीं हुआ।






बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-