महीनों के नाम-2
पिछली बार आपने सीखे जनवरी, फ़रवरी और मार्च महीनों के नाम। आज अगले चार महीनों के नाम और उनसे संबंधित जानकारी है, यह :-
अप्रैल का आया जो महीना
मिला हो जैसे कोई नगीना
आ गए सब परीक्षा परिणाम
अब तो बस खेलने से काम
मई महीना आया जब
अन्दर घुस के बैठे सब
कडी धूप गर्मी का मौसम
पन्खे चलते रहते हरदम
जून मे जो गर्मी सताए
तो कोई बाहर न जाए
स्कूल भी सारे हो गए बन्द
छुट्टियो मे तो खूब आनन्द
जून के बाद जो आया जुलाई
गर्मी से कुछ राहत पाई
छुट्टियों में तो मस्ती मनाई
अब सब करना खूब पढाई
कल फ़िर मिलेंगे, अगले महीनों की जानकारी के साथ। तब तक बाय-बाय
आपकी
सीमा सचदेव
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
5 पाठकों का कहना है :
जून जुलाई-आज भी कितना याद आता है सीमा जी , दादी के घर जाना ,मौज मनाना ,पेडों पर चढ़ना फिर धम से गिर पड़ना ,आम के बागों से सारे आम चुरा कर तोड़ना ,
कुँए से पानी निकालना और बाल्टी का वजन ज्यादा होने पर रस्सी को बाल्टी सहित छोड़ देना फिर बड़ों से डाट पड़ना ,रात में दादी से कहानी सुनना और अगले दिन की
शैतानियों की रूप रेखा तैयार करना .......
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
सीमा जी ने सच कहा है
वैसे भी भाव होते हैं निस्सीम
कब महीने को
कब साल को
कब रूमाल को
लें लपेट अपने
रोचक संसार में
बेहतर सोच के साथ।
सीमा जी,
कैसी मजेदार बातें बताती हैं आप सब उम्र के बच्चों को. बहुत बढ़िया लगता है पढ़कर.
और नीलम जी ,
आपने तो मेरे बचपन की सभी यादें चुरा लीं और सीमा जी को हमसे पहले ही बता दीं. हमसे पहले ही बाजी मार ले गयीं आप. वाह!
वह इतनी सादगी और ताजगी भरा बचपन
सब कुछ छूट गया अतीत में वह अपनापन
कुँए से पानी खींच कर नहाना और खिझाना
पेडों पर चढ़कर आम और अमरुद को खाना
कटैया के पीले फूलों को झोली में भर लेना
जामुन के पेड़ पर चढ़ कर जामुन को फेंकना
भरी दुपहरी में माँ का चिल्लाना अनसुना करना
वह जंगल-जलेबी और झरबेरी के खट्टे-मीठे बेर
अब ना आयेंगे वह दिन जीवन में लौटकर फेर.
प्रेरक एवं ज्ञानवर्द्धक।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत अछा,,,,
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)