रुपया
रुपया बड़ा महान
सब करते गुणगान
रुपया है जहान
इससे मिलता मान .
भूल गये सम्मान
ताऊ अब्बा जान
रुपया है वरदान
सभी गुणों की खान .
रुपया दे अभिमान
दुर्बल को दे जान
रुपयों से है शान
इसे कमाना ठान .
सबका है अरमान
रुपयों की हो खान
इसको पा शैतान
लगता है इंसान .
जो पाये अनजान
दुनिया कहे महान
जीवन लगता तान
दे मान संतान .
रुपया कर परवान
बदले राज विधान
बिकता है ईमान
मोल लगाना जान .
रुपया बड़ा महान
सब करते गुणगान .
कवि कुलवंत सिंह
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
2 पाठकों का कहना है :
बेहद लयात्मक कविता है | बच्चों को बहुत अच्छी लगेगी | कवि साधुवाद के पात्र है|
achchi kavita ,layaatamak kavita
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)