शन्नो स्वपनदर्शी से नाराज हैं इसी ख़बर के साथ आज की पहेलियाँ ,
शन्नो जी ने मांग की है की इस स्वपनदर्शी को बड़ा घमंड हो गया है अपने ऊपर ,वो बार उन्हें याद करती रहती हैं ,पर वो हैं की कोई जवाब ही नही दे रहे हैं ,इसे कक्षा के बाहर ही खड़ा रहने दिया जाय ,जब तक यह व्यक्ति ,या मंगल ग्रह का प्राणी शन्नो जी से मुआफी नही मांग लेता है |
अब आप लोग निर्धारित करिए ,कि इसे कैसे निपटाया जाय
फिलहाल आज की पहेलियाँ हाजिर हैं
१)मुंह में भर मानुष का पैर ,
करुँ पीठ के बल सैर
२)मै ही हूँ जीवन का सार ,
नही रहूँ ,तो देह बेकार
३)लाख कहूं लागत नहीं,
बरजत(वर्जित) लागे धाय (तुंरत )
कही पहेली एक यही ,
दीजो चतुर बताय |
४)लग जाए तो लाज लगे ,
ना लगे तो और लजाय|
वे जन भाग्य के ,
जिन्हें न ये लग पाये
5 ) )सर काटे तो लाभ न होवे ,
कनी बना धड़ हीन ,
पैर काटते कहा मानते ,
अक्षर केवल तीन
शन्नो बेटा ,तुम बहुत होनहार छात्रा हो अपना काम तो पूरा करती ही हो ,साथ में कक्षा को भी बखूबी संभालती हो
ग्रीष्मावकाश होने वाला है इसलिए बच्चे कुछ सुस्त हैं कुछ सो ही जाते है ,और इस कक्षा में आते भी नही हैं ,सबकी
लिस्ट बनाकर हमे दो ,फिर देखते हैं कि गैर -मौजूद लोगों के साथ क्या करना है ,हम भी थोड़ा विश्राम करते हैं ,
फिर मिलते हैं ,आपकी प्रतिक्रियाओं के इन्तजार में ,
नीलम मिश्रा
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21 पाठकों का कहना है :
नीलम जी एवम शन्नो जी!
आज जब साप्ताहिक पहेलियाँ अपनी डाक मे नहीं मिली तो बाल उद्यान खोल के देखा, पता चला की हमें तो कक्षा से बाहर कर दिया गया है और हमें पता भी नहीं. शन्नो जी! हम क्यों भला किसी से नाराज़ होने लगे. हमें तो सपनो मे रहने की आदत है, सिर्फ पहेलियों के उत्तर के लिए आँखें खुलती हैं, जिसके जवाब भी शायद हमें स्वप्नों मे ही आते हैं और जो आप सबकी दुआओं से कभी कभी सही भी हो जाते हैं. हमारे किसी जवाब या नहीं जवाब देने से आपको या किसी और को कोई ठेस पहुँची हो तो उसके लिए हम तहे दिल से क्षमा चाहते हैं. नीलम जी, आपसे भी क्षमाप्रार्थी हैं की सिर्फ पहेलियों के उत्तर ही दे पाते हैं और वो भी एक बार. इस बार आपने हमें बाहर रखा है, आपकी सजा सर आँखों पर. वैसे इस बार की पहेलियाँ भी काफी रोचक हैं हमेशा की तरह. ५ पहेलियों मे से ३ के जवाब तो सूझे हैं हमारी छोटी सी सपनो की दुनिया के हिसाब से. परन्तु पहेली संख्या ३ और ४ मे फिर से आपके संकेत की चाहत है. अब यदि आपकी और समस्त प्रतिभागियों की सहमती हो तो हम भी इस रोचक पहेली श्रंखला मे भाग लेना चाहेंगे.
पहेली
२ आत्मा बाकि के जवाब ब्रेक के बाद
दूसरी पहेली का जवाब है आत्मा और पांचवी का कहानी .. बाकी का सोंचकर बताती हूं।
स्वप्नदर्शी जी ,
आपको शन्नो जी ,जब तक अनुमति नहीं देती तब तक आप बाहर ही खड़े रहेंगे ,उत्तर ढूंढते रहिये ........और शन्नो जी के उत्तर का इंतज़ार करिए ,
uttar 3,4 ke liye pahley aur logon ko prayaas karne dijiye uske baad hi aapko koi hint mil sakti hai .
शुक्र है,,,,,
आज यहाँ पर हमारे लिए कोई सवाल नहीं है,,,,
शन्नो जी और नीलम जी का धन्यवाद,,,,,,
इस बार की ये आफतें स्वपन दर्शी जी के पल्ले पड़ गयीं,,,,,,,
तेरा शुक्र है मालिक,,,,,अपना पिंड तो छूटा,,,,,
हेल्लो!
कक्षा के साथिओं आप सब का साप्ताहिक पहेलिओं की कक्षा में दिल खोलकर स्वागत है. कहिये आप लोग कैसे हैं?
एक बात बताती हूँ पहले कि कक्षा में आने के पहले मैंने अपना नाम हिन्दयुग्म के हेड लाइंस में देखा और मेरा दिल धक्क से रह गया कि मेरा नाम क्यों है वहां पर. मेरे कान खड़े हो गये. सोचा कि मुझसे क्या खता हो गयी है, और अब क्या नयी मुसीबत आने वाली है मुझपर. जब ढंग से पढ़ा तो पता लगा कि नीलम जी स्वप्नदर्शी जी से मेरी चुगली खा रही हैं. आप चिंता ना करिये और स्वप्नदर्शी जी आपको बाहर खड़े रहने की कोई आवश्यकता नहीं है.... आइये, आइये बिलकुल शरमाइये नहीं. नीलम जी की आदत से मैं अच्छी तरह से परिचित हूँ.......अपने को बचाने के लिये वह हमेशा कोई न कोई दोष मेरे मत्थे मढ़ देतीं हैं और फिर मुझे लेथन में धकेल कर विश्राम करने के बहाने इधर-उधर घूमनें निकल जाती हैं. आप उनकी तरफ से वेफिकर रहें. जब वह मुझपर चिल्लायेंगीं तब की तब देख लेंगें. आप सब मेरा साथ देने को तैयार रहियेगा. ओ.के....... अरे सुमीत जी, क्या बात है आप इतना शरमाये-शरमाये से क्यों खड़े हैं वहां पर....... क्या कहा फिर दोबारा आयेंगे उत्तर के साथ. तो ठीक है जाइये. लेकिन दोबारा आना मत भूलिए. और स्वप्नदर्शी जी, एक विनती हैं आपसे कि कभी-कभी कुछ दीन-दुनिया की भी खबर रखा कीजिये. अपने को पहलवान घोषित किये जाने पर भी आप पर उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. आखिर में नीलम जी ने फिर आपकी कोई खबर न मिलने की स्थिति में अपना सर ठोंक लिया. आप कितनी गाढ़ी नींद में सोते हैं कि पहेलियों के नाम पर ही आप को झटका लगता है और फिर खुर्राटे भरने लगते हैं. आगे से पूर्ण आशा करती हूँ कि आप मेरे निवेदन पर गौर करेंगें और इस कक्षा का मान सम्मान बनाने में पूरा सहयोग देंगें. उपस्थिति ठीक समय पर लगे और जब-जब कोई समस्या हो उसकी निवारण हेतु किसी भी समय आकर पूछ सकते हैं या नीलम जी को खटखटाकर (जैसा मैंने पिछली बार भी कहा था) प्रश्न कर सकते हैं.
अन्य बच्चे अभी तक नहीं आये हैं अभी तक....लगता है कि कहीं धींगा-मस्ती कर रहे होंगे.
उन टोपी वाले मनु जी को अभी बाहर देखा था. वह कहीं जा रहे थे फटे जूते फट-फट करते हुये और फटी टोपी हाथ में लिये. मोजे जूतों के बाहर झाँक रहे थे. पूछने पर बोले थे कि ''मैं भी वोटर की क्यू में लग कर अपना वोट देना चाहता था लेकिन सबने मुझसे कहा कि तुम अभी बच्चे हो और मैंने जिद की वोट देने की फिर वह लोग मुझे धक्का देने लगे और फिर मैंने अपना जूता निकाल लिया'' और फिर.....क्या, क्या हुआ होगा वहां पर आप सब लोग और नीलम जी अनुमान लगा सकते हैं अपनी-अपनी कल्पना से. एक दिन पप्पू नाम के बच्चे को मनु जी ने चिढ़ा दिया और वह अपनी आस्तीन से नाक पोंछता हुआ टप्प-टप्प आंसू गिराता हुआ पें, पें करता भाग गया कक्षा से. नीलम जी से यह बात नहीं बताई थी मैंने उस दिन और ना ही आज बता रही हूँ. वर्ना मनुजी की बहुत ही डाट-फटकार लगती. कभी कभार छात्राओं की चोटी भी खींच-खांच देते हैं और मैं डर के मारे कुछ नहीं कहती हूँ.
वैसे छुट्टियाँ भी सर पर आ रही हैं और आप लोग कक्षा से पिंड छुड़ाकर कहीं जाने की सोच रहे हैं क्या? खूब गर्मीं हैं तो आप लोग खूब आम, तरबूज, खरबूजा, लीची, लोकाट, शरबत, लस्सी, और ठंडाई आदि का मज़ा ले रहे होंगे, है ना? याद रखना सब लोग भांग वाली ठंडाई से दूर रहना वर्ना दो-दो मेरा मतलब है कि डबल-डबल दिखने लगता है. और फिर कहीं डबल-डबल मनु जी दिख गये तो.......??????? ही..ही..ही..हा..hah...hah.. hahhhh.....
गर्मी की छुट्टियों में तो सब लोग फिर:
जाकर खाओ मट्ठा रोटी पीकर ठंडा जल
कुँए का पानी बेस्ट है उसमें होते हैं मिनरल
मौज मनायो छुट्टी में मम्मी का मानो कहना
डैडी आँख दिखाएं तो तुम भी ना पीछे रहना.
मार-कूट ना करना घर में करना अच्छे काम
लौट के कक्षा में फिर आना ऊंचा करने नाम.
जो भी बच्चे अभी तक नहीं आ पाये हैं वह शीघ्र ही आने की चेष्टा करें, कृपया.
आपकी अपनी ही
कक्षा-मानीटर
कक्षा के साथिओं,
आप सबको आज के मातृ-दिवस पर मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
अब चलो लगे हाथों मैं अपने उत्तर देकर दिमाग का बोझ हल्का कर लूं. तो नीलम जी, मेरे उत्तर यह हैं:
१. जूता-चप्पल
२. आत्मा
३. शराब
४. शर्म
५. कहानी
3,aur 4th galat hain shanno ji ,
aapke swapndarshi ji phir se sapnon ki duniya me kho gaye hain ,is bigdail ko aap hi samhaaliye .sapno ki duniya se jagaayiye aur kahiye ki paheliyon ke uttar likhe jali ,
manu ji kaise bhaag rahe hain unhe pakdo aur unse uttarpustika liye bina kahi jaane n do ,sumit,chauhan ji ,raaghav ji ,rachna, neeti ye sab kahaan hain inse kahi pana peene se ytaajgi dimaag ko milti hai ,theek wahi unhe paheliyon ko hal karne me bhi milegi .
नीलम जी, शन्नो जी एवं प्रतिभागी साथीगण,
कक्षा मे फिर से सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद. हमारी ओर से पहेलियों के उत्तर इस प्रकार से हैं:
१. जूता-चप्पल
२.श्वास अथवा आत्मा
३. ......नीलम जी के संकेत की प्रतीक्षा मे.......
४.......नीलम जी के संकेत की प्रतीक्षा मे........
५. कहानी.
उम्मीद है, संकेत पाने के बाद बाकी दोनों पहेलियों के उत्तर भी दे पाएंगे....
धन्यवाद्....समस्त साथियों, कक्षा अध्यापिका जी एवं कक्षा प्रतिनिधि (संचालिका) जी, आप सबको भी हमारी ओर से मातृ-दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें........
माँ को emotionally trap करने की कोशिश ,अभी समस्त प्रतिभागियों की उत्तरपुस्तिका मिली नहीं है ,सुमित कहाँ हो जल्दी जवाब दो ,मनु जी आप भी ,नहीं तो यह मंगल ग्रह का निवासी hatt trick की कोशिश में है |
बाकी आप लोगों की जैसी मर्जी
आज जो हाल स्वप्नदर्शी जी का है वही मेरा भी है. अपनी गाड़ी भी रुक गयी है. लगता है कि आज इन पहेलियों ने स्वप्नदर्शी जी की नींद छीन ली है. और नीलम जी, मनु जी तो नयी टोपी और जूता या चप्पल लेने के वास्ते मार्केट गये थे राघव जी की फटफटिया (मोटरसाईकिल) पर बैठ कर लेकिन वह तो वापस यहाँ आये ही नहीं हैं अब तक. अगर झूठ बोले थे मुझसे तो फिर इस आदत से तो आप वाकिफ हैं ही (मेरा इशारा आप की तरफ नहीं है मनु जी की तरफ है). देखो कल तक क्या होता है. डर है कि कहीं दोबारा तो नहीं वोटर बनने पहुँच गये और लाइन में लग गये हों फिर से.
जय माता दी,
नीलम जी के संकेत मिलने से पहले हमें स्वप्न मे पहेली क्रमांक ३ व ४ के कुछ हल सुझाई दिए, उसमे से जो सबसे उपयुक्त लगे हैं वे इस प्रकार से हैं:
१. जूता-चप्पल
२. श्वास अथवा आत्मा
३. दुआ-बद्दुआ, (चालाक भी लगा था)
४. प्रेमरोग
५. कहानी
संकेतों की चाहत अभी भी है......कई प्रतिभागी पहाड़ों की सैर पे चले गए लगते हैं. नहीं तो छुट्टी के दिन तो जवाब आने चाहिए....यदि संकेत मिल जाएँ तो जवाब बदले भी जा सकते हैं.....
अब और ज्यादा परेशान नहीं कर सकते हम ,
तो फिर इशारा किये देतें हैं ,इसके बाद भी न समझे वो अपने आप को क्या कहलवाना चाहता है ,खुद ही बता दे ,नहीं तो मनु जी से पूछ ले जाकर अनेकानेक उपाधियों से नवाजे जा चुके ही हैं पुराने माहिर खिलाडी हैं ,और सबसे अच्छी बात यह है की किसी बात का बुरा भी नहीं मानते हैं |
तो आप लोग लग लग शब्द को उच्चारित करिए और ध्यान रखिये कि मत लग कहते ही वो लगने लगते हैं
लाज वाली पहेली के लिए सिर्फ इतना इशारा ही काफी है की कभी गरीब के कपड़ो को ध्यान से देखा होगा तो उसे भी देखा होगा |
तो आज सिर्फ दो ही प्रतिभागी हैं ,कुछ प्रतिभागी अभी विश्राम कर रहे होंगे ,उनके जवाब
संभवतः:कल तक मिल जायेंगे और शायद स्वप्नदर्शी जी को खदेड़ कर पीछे कर दे कुश्ती(dimaagi ) का अखाडा है ,जो चाहे वो किसी को भी हरा सकता है ,खुली प्रतियोगिता है ,स्वागत है नए प्रतिभागियों का भी |
१. जूता-चप्पल
२. श्वास अथवा आत्मा
३. लग लग....गल गल...मत लग....तलग....तलब.....(तलब भी सही लग रहा है)....मतलब भी हो सकता है....इस छोटे मंदबुधि मस्तिष्क मे अभी इसका संकेत बल्ब जल नहीं रहा.....
४. पैबंद
५. कहानी
पहेलिया बहुत मुशकिल लग रही है ये तो मेरी पढाई से भी मुशकिल है या पेपरो की वजह से सारा ध्यान पेपरो पर है शायद इसलिए अब कक्षा मे परीक्षा के बाद ही हाजिरी लगाऊँगा
इस बार तो बहुत मुश्किल पहेलिया हैं फिर भी प्रयास किया है :-
चप्पल,
आत्मा,
लगन,
शर्म,
कहानी,
So sorry!
समयाभाव के कारण आना चाहकर भी मैं कल दुबारा ना आ सकी. लेकिन पहेलियाँ दिमाग में उलझी रहीं. अपनी अल्प-बुद्धि के अनुसार उत्तर दे रही हूँ. यदि गलत लगें तो मैं जो भी आपके उत्तर होंगे उनसे सहमत हूँ. अब लगता है कि किसी दिन किसी कवाड़ी की दूकान पर जाकर समयजायी पहेलियों की कोई पुस्तक ढूंढ कर लानी होगी. ताकि आगे से किसी के सहारे के लिए मुंह ना ताकना पड़े. और नीलम जी, मनु जी का कहना है कि अगर नीलम जी को उत्तर पता हैं तो फिर हमसे क्यों पूछ रही हैं. लगता है कि उन्हें खुद ही नहीं पता है इसीलिये वह हमसे उत्तर पूँछ कर बाद में नक़ल टीप कर कह देंगी कि 'हाँ, हाँ यही मेरे भी उत्तर हैं.' या हमारे सवाल सही होने के वावजूद भी अपने ही उत्तरों को सही करार देंगी. मैं मुंह खोलकर देखती रह गयी, कि मनु जी कैसी बड़ी-बड़ी अकल-मंदी की बातें करने लगे हैं. लगता है कि दिमाग बहुत तेज हो गया है हिसाब लगाने में. खैर मेरे नये उत्तर हैं:
१. जूता-चप्पल
२. आत्मा या सांस
३. भूख या दुआ-बद्दुआ
४. गरीबी,गला
५. कहानी
अब सब आप की कृपा पर निर्भर है.
नम्बर ३ पहेली का जवाब मेरे हिसाब से है,,,,,लब,,,,,बोले तो होंठ ,,,,,,,
1.जूता
२.आत्मा
३. होंठ
४.पैबंद / छेद
५. कहानी
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