स्वप्न दर्शी जी फिर सबसे अच्छे प्रतिभागी घोषित किए गए हैं | आपकी चिर प्रतीक्षित पहेलियों के सही उत्तर
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद जो आप हमारी कक्षा में पधारे ,कुछ प्रतिभागी नियमित रूप से हमारी कक्षा में
आते हैं ,शिकायत उन लोगों से है जो अच्छे -अच्छे पद पाकर चुप - चाप कहीं व्यस्त हो गएँ हैं ,अब अगर आप लोग ही ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करेंगे तो बाकी की जनता जनार्दन का क्या होगा
आप को पहेली कठिन लग रही है तो ,
आप के पास समयाभाव है तो ,
आप को किसी का व्यवहार नही पसंद आ रहा हो तो ,
किसी के साथ कोई पक्षपात हो रहा हो तो ,
कोई सहपाठी किसी दूसरे सहपाठी को तंग कर रहा हो तो ,
शन्नो जी तथा हमे (नीलम )को अवश्य बताये ,
हमारा वादा है की सभी के साथ पूरा -पूरा न्याय किया जाएगा
बड़े ही खेद के साथ बताना पड़ रहा है कि पहली पहेली का उत्तर कोई नही बता पाया है
१)सुपारी
२)भुट्टा 3
3)मिर्च
4 कछुआ
5 ईंट
मनु जी के लिए दी गई पहेली का उत्तर है वही जो हमेशा होता है टो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ पी।
रचना ,सुमित ,शन्नो सभी को शाबाशी दी जाती है ,शन्नो बेटा आचार्य जी को पहेली का जवाब न देने पर उनसे उट्ठक-baithak (sit-ups ) lagwaao ya phir murga bana do ,yahaan par wo tumhaare guru nahi hain
,हहहहहाहहहहहहहह्हाह
इहिहिहिहीह्हिहिहिहिहिहिहीह्हिहिहिहिही
हुहुहुहुहुहुहुहुहुह्हूहुहुहुह
कृपया हिंदी में हसिये , इसी क्रम में हसिये
लय और ताल भी बनाईये
सबसे अच्छी लय और ताल बनाने वाले को एक और हसी का इनाम मिलेगा
आप सभी का शुक्रिया

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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7 पाठकों का कहना है :
नीलम जी, नमस्कार!
लगता है कि स्वप्नदर्शी जी के सितारे अच्छे टिमटिमा रहे हैं आजकल. तो फिर खुद भी पहेली की कक्षा में आकर क्यों नहीं टिमटिमाते. सही कहा ना, मैंने? खींच-खांच कर तो नहीं लाया जा सकता उनको. या फिर क्या आपकी राय में ऐसा किया जा सकता है? आपकी बातों से सोचा कि मन में एक बात है (सॉरी, गलत कहा मैंने.....एक नहीं एक से अधिक) कह ही दूं तो अच्छा रहे.... पच नहीं पा रही है इसलिए. बात यह है कि स्वप्नदर्शी जी आये तो थे उपस्थिति के लिये, पहेलियों के जबाब भी दिये एक को छोड़कर और आने का आधा वादा करके चले गये. फिर दर्शन ना हुए उनके. मुझे डर है कि या तो वह डर रहे हैं सामने आने से या फिर नाराज़ हैं क्योंकि मेरे जेहन में एक बात घूमे जा रही है . वह है कि उस दिन अपने ख्याल से मैंने सोचा कि..कि.. वह मेरी नक़ल टीप रहे हैं फिर.....मेरे मुंह से निकल गया कि....कि...कि अरे देखो मेरी नक़ल टीप ली है. बस इतना ही कहा था मैंने, और तो कुछ नहीं. अब भगवान ही जानें उनको कैसा लगा होगा. पर मुझे जरूर डर लग रहा है अब, कि कहीं मैंने उन्हें नाराज़ तो नहीं कर दिया. अब जो सजा देंगीं आप वह अपने सर-माथे पर. अपनी सफाई में जो कहना चाहती थी वह कह दिया मैंने मैडम जी. एक और बात कहूं हुजूरेवाला, अगर इजाज़त हो तो, वह यह कि इस सारी कायनात में आप से अच्छी हंसी तो कोई हंस ही नहीं सकता (सिवा उस टोपी वाले के) तो फिर आप ही क्यों ना वह इनाम (पता नहीं कोई इनाम-विनाम है भी या नहीं, कब से तो टरकाये जा रही हैं) अपने को ही दे दीजिये (ही...ही)
नहीं, नहीं मैंने कुछ नहीं कहा नीलम जी, वो तो बस ऐसे ही.....कुछ भी तो नहीं. और हाँ पप्पू को तो अब महफ़िल से खींच कर लाना बहुत ही मुश्किल काम है. आप ही कोशिश कर देखिए.
और भी एक बात....वो जो टोपी वाले हजरत हैं ना वह अपनी कापी खाली ही छोड़कर चले गये. और बाकी की पहेलियाँ तो नज़र-अंदाज़ कर ही दीं बल्कि वह तो अपनी वाली खास पहेली को भी ना कर पाये. तरह-तरह से बुदबुदा रहे थे और पसीने छूट रहे थे उन्हें. देखने काबिल था सीन. और फिर आखिर में हार मान कर वह उत्तर हमारे ही सहारे छोड़कर चले गये. बस इतना ही बताना था और कुछ खास नहीं याद आ रहा है. तो चलूँ फिर? ओ. के. ..फिर जल्दी ही मिलते हैं. अपना ख्याल रखियेगा. टा, टा!
हमें तो यही कहा गया था के अपनी केवल एक पहेली का उत्तर देकर चुपचाप बैठ जाना,,,
वही तो हमने किया,,,,,
हे भगवान! इस विद्यार्थी को कैसे समझाया जाये मेरी समझ में नहीं आता.
नीलम जी का जो मतलब था वह यह था कि और पहेलियाँ तो करनी ही हैं पर वह स्पेशल पहेली मनु जी, केवल आपके लिए ही है....तथास्तु..
तो मुझे एक्स्ट्रा होम वर्क क्यूं,,,,,,,,,,,,??????????????
मनु जी,
वो इसलिए कि आप कक्षा में जरा सुस्त हो गए थे. तो एक्स्ट्रा होमवर्क से सुधार हो सके और अगली बार पूर्ण नंबर लेकर पहेली की मैदाने-जंग जीत सकें. कुछ और पूछना हो तो आप या कोई और विद्यार्थी बेखटक, वेझिझक होकर दिमाग में खटकने वाला कोई भी प्रश्न मुझसे या नीलम जी का दरवाज़ा खटखटाकर पूछ सकता है. डरने की कोई आवश्यकता नहीं. हम यहाँ आपकी पहेलियों से सम्बंधित समस्याओं के उपचार की विधि (clues) देने में पूरी कोशिश करेंगें. हाँ, तो कुछ और फरमाना है कि नहीं? ठीक है, तो फिर ta,ta....
comment yah hai ki comment kuchh bhee naheen.
सलिल जी,
इस कक्षा के छात्र छोटे और नादान हैं. आप शुद्ध अंग्रेजी में जो गिटपिट कर गये हैं तो मुझे भी समझने में देर लगी. इन बच्चों पर दया करिये और हिन्दयुग्म की मान-मर्यादा का भी ख्याल करिये, वरना शैलेश जी क्या सोचेंगें? उनकी क्या हालत हो जायेगी हिंदी की दुर्गत देखकर, कोई अनुमान है आपको? वर्ना हम भी फिर ईंट का जबाब पत्त्थर से देंगें और अंग्रेजी में दोहे लिखके आपके लिए लाया करेंगें.
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