सुनो सुनो
सब आओ
बात सुनो
होठों पर
प्रीत गुनो
यह मेरा
वह तेरा
यह पचड़ा
छोड़ जरा
भूलो दुख
बांटो सुख
दीन से न
मोड़ो मुख
तूँ छोटा
मैं खोटा
बिन पेंदी
सब लोटा
अंतर्मन
झांको तुम
सत्य प्रेम
बांटो तुम
न यह बड़ा
न वह बड़ा
इस जग में
काल बड़ा
फूल खिला
हाथ मिला
हर मुख पर
हंसी सजा
गले लगा
प्यार जगा
सबके दुख
दूर भगा
सुनो सुनो
बात सुनो
प्रीत प्रेम
सभी चुनो
कवि कुलवंत सिंह
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6 पाठकों का कहना है :
suno suno
kulwant uncle ki
pyaari si kavita suno
hume to bahut hi achchi lagi ab aap bataao .
अच्छी कविता है कुलवंत जी
सभी पंक्तिया बच्चो के लिए शिक्षाप्रद है
कुलवंत जी,
मुझे भी बहुत ही अच्छी लगी आपकी कविता. धन्यबाद.
ना तू छोटा
ना मैं छोटा
बिन पेंदी
सब लोटा
क्या बात कही आपने!
बहुत दिनों के बाद एक अच्छा बाल-गीत मिला...साधुवाद.
सुंदर गीत कुलवंत जी,,,
बच्चों के लिए,,,
Thank you ji.. to all my dear friends...
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