Tuesday, May 26, 2009

चमगादड़


चूहे सा होता चमगादड़
लगे पीठ से होते डैने,
चोंच न होती उसके मुहँ में
दाँत बड़े होते हैं पैने।

उसके डैने ऐसे होते
जैसे आधा छोटा छाता,
उसकी टांगें ऐसी होतीं
जिन पर बैठ नहीं वह पाता

टांगों में कटिया सी होती
अटका जिन्हें लटक वह जाता,
उड़ते-उड़ते, उड़ते कीड़ों
और मकोड़ों को वह खाता

रात अँधेरी जब कट जाती
जब उजियाला सब पर छाता,
किसी अँधेरी जगह लटक कर
उल्टा चमगादड़ सो जाता

--हरिवंश राय बच्चन


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

5 पाठकों का कहना है :

श्यामल सुमन का कहना है कि -

बच्चों के लिए अच्छा संकलन का प्रयास। वाह।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

manu का कहना है कि -

हूम्म्म ..
बहुत ही मजा आया पढने में...उड़ते उड़ते , उड़ते कीडे / और मकोडों को वह खाता...
बच्चन मेरे बहुत फेवरिट हैं,,,,पर ये नया बाल-गीत आज ही जाना है उनका...

neelam का कहना है कि -

धन्यवाद श्यामल जी

neelam का कहना है कि -

manu ji ,
iske pahley bhi hum kai kavitaayen laa chuke hain ,harivanshraay ji ki .

रावेंद्रकुमार रवि का कहना है कि -

बच्चन जी की इस शोधपरक कविता को
प्रस्तुत करके नीलम जी ने
बच्चों को बहुत सुंदर
उपहार प्रदान किया है!

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)