नंदन कानन की सैर
बच्चो, पिछले दिनों ही आपने सीमा दीदी के साथ सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की। आइये इस बार आपको लेकर चलते हैं नंदनकानन की सैर पर।
नंदनकानन उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से जज़दीक एक चिड़ियाघर भी है और अभयारण्य भी। ये सबसे बड़े चिड़ियाघरों में से एक है। यहाँ आप सभी तरह के पशु-पक्षियों से मिल सकते हैं। इस चिड़ियाघर की खास बात यह है कि यहाँ पर काफी जंगली जानवर ऐसे हैं जिन्हें पिंजरों में नहीं रखा गया बल्कि लोगों से उनके रहने की जगह थोड़ी दूर कर दी गई है।
हम लोग सबसे पहले सफ़ारी पर गये। बस में हमें केवल दस मिनट के लिये घुमाया और हमने अपने कैमरे में कैद कर लिया एक बाघ। और कोई ऐसा-वैसा बाघ नहीं...ये था सफ़ेद बाघ!!! ये बंगाल में पाया जाता है।
उसके बाद हमने चिड़िया घर की सैर की।
सबसे पहले हमें मिले तोते...
उसके बाद हमें मिले ये पक्षी..

काला हिरन
यहाँ पर एक झील भी है। यहाँ ट्रॉली में बैठ कर आप झील का आनंद ले सकते हैं और बोटिंग भी कर सकते हैं।
और ये रहा गैंडा..बिना पिंजरे के हमारे नज़दीक। इसकी खाल बहुत मोटी होती है। 
सोते हुए घड़ियाल..
घड़ियाल और मगरमच्छ में अंतर होता। कईं बार हमसे उन्हें पहचानने में भूल हो जाती है। नीचे मगरमच्छ देखिये..
ज़्यादा नज़दीक से देखना चाहते हैं?
साँप.. और भी थे, पर शीशे के अंदर थे इसलिये तस्वीरें साफ़ नहीं आईं। यहाँ आपको सभी तरह के साँपों की प्रजातियाँ देखने को मिलेंगी।
बड़ी छिपकली
रंग-बिरंगे चूहे
जाना पहचाना हाथी...
जंगल का राजा शेर...
हमारे सामने बैठा एक और सफ़ेद बाघ
भालू
जानते हैं हममें और जानवर में क्या अंतर है? मनुष्य को भगवान ने बुद्धि दी है। हमें चाहिये हम प्रकृति को बचायें.. जानवरों, पक्षियों व पेड़-पौधों की रक्षा करें। इसलिये जाते-जाते एक पते की बात...
--तपन शर्मा

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
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बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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7 पाठकों का कहना है :
तपन जी,
आज तो आपकी वजह से मैंने भी हिन्दयुग्म के जरिये नंदन कानन की सैर कर ली. पैर भी नहीं थके और चिड़िया घर जाकर घड़ियाल, मगरमच्छ, सफ़ेद बाघ और चिडियां आदि सब का आनंद उठा लिया. बस सफारी पर नहीं जा पायी और आइसक्रीम नहीं खा पायी आपके साथ. पर कोई बात नहीं इतना सब कुछ देख लिया एक ही बार में. धन्यबाद. फिर अगली बार हम कहाँ चल रहे हैं?
अब तो यही मन कर रहा है हम भी उड कर वहॉं पहुंच जाऍं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
तपन ,
इसे कहते है ,सौ सुनार की और एक लुहार की ,शायद तुमने सुना होगा ,तात्पर्य यह है कि जो नायब तोहफा इस बाल उद्यान को मिला है जितनी तारीफ़ की जाय कम ही होगी |
शन्नो जी की तरह ही हमारा सवाल है कि अगली बार हम कहाँ घूमने चल रहे हैं |
धन्यवाद।
पुरी की एक और पोस्ट बैठक पर लगनी चाहिये। धौला गिरी और गंगा सागर का का सफ़र भी बैठक पर अगले २-३ हफ़्ते में होने वाला है।
बच्चों के लिये जल्द ही कलकत्ता का बिरला प्लैनेटोरियम और विक्टोरिया मेमोरियल लेकर आऊँगा। मतलब पाँच जगह हैं आपके लिये घूमने को।
थोड़ा सा इंतज़ार।
"नंदन कानन" की
बहुत सुंदर झाँकी प्रस्तुत की गई है!
निश्चित रूप से यह सबका मन मोह लेगी!
जहाँ - उसके बाद हमें मिले ये पक्षी -
लिखा गया है,
उसके नीचे लगे फोटो में "सारस" का जोड़ा है!
भालू चीता बाघ लोमडी गीदड़ या खरगोश,
जंगल में सब देख सकोगे जाने का हो जोश,
क्या बात है तपन जी,
प्राईमरी स्कूल की यर कविता सीधे सीधे याद दिला दी,,,
मजा आ गया,,,,,
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