बाल कवि-सम्मेलन की दसवी कविता..
कल हो न हो
हरे-भरे पेड़ों का आनंद क्यों नहीं लेते,
इस घने जंगल में खो क्यों नहीं जाते 
इसका आनंद तुम अभी लूट लो 
राम जाने कल हो न हो....
हरे-भरे पेड़ हैं इन्हे बरबाद न करो 
कई तरह के प्राणी हैं
इन्हे मारने का पाप न करो 
राम जाने कल हो न हो....
चिदियाँ गुन -गुन गाती हैं
कोयल गीत सुनाती हैं 
इनको तुम सुनते रहो 
पेड़ लगाने को कहते रहो 
राम जाने कल हो न हो....
 
 ऋषिकेश अ. पारधे 
कक्षा नौवीं 
एस.बी.ओ.ऐ. पब्लिक स्कूल
औरंगाबाद (महाराष्ट्र)
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं। क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ।
बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ। क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों? अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए। तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया। आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में। एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।


 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 पाठकों का कहना है :
बहुत सुंदर गीत सी लगी आपकी कविता ..सुंदर लिखा है ....लिखते रहे :)
पारधे बाबू, बहुत अच्छी कविता लिखी.ऐसे ही लगे रहिए
सप्रेम
आलोक सिंह "साहिल"
हरे-भरे पेड़ों का आनंद क्यों नहीं लेते,
इस घने जंगल में खो क्यों नहीं जाते
इसका आनंद तुम अभी लूट लो
राम जाने कल हो न हो....
" beautifully composed with a good moral"
keep it up.
क्या बात है ॠषिकेश!
बड़े हिं सुंदर विचार, भाव एवं शब्द!
बधाई स्वीकारो।
-विश्व दीपक
ऋषिकेश
क्या अच्छे भाव है।
बहुत अच्छी बात है कि आज का युवा वर्ग पडो के महत्व को समझ रहा है
ऋषिकेश , आप के विचार बहुत नेक हैं. कविता अच्छी लिखी है.
आप जैसा सब को सोचने की जरुरत है.और वृक्षों को कटने से बचाना है. पर्यावरण को संतुलित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सब की है.
लिखते रहो....शुभकामनाएं
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)