जंगल में दंगल
आया दिन फिर मंगल
जश्न आज है जंगल
होगा बड़ा इक दंगल
मनेगा खूब मंगल ।
स्कूटर पे भालू आया
बंदर अपनी साइकिल लाया
चिट्ठी बाँट कबूतर आया
गुर्राता फिर बाघ आया ।
बिल्ली अपनी कार में आई
भागी सरपट लोमड़ी आई
मै मै करती बकरी आई
चिड़िया चूँ चूँ उड़ती आई ।
लंगूर कूदा पूँछ दबाये
हाथी घोड़ा साथ में आए
तोता मैना कौआ आए
हिरन जिराफ़ बतियाते आए ।
सबने आ डेरा जमाया
अपना- अपना आसन पाया
हेलीकाप्टर में शेर आया
सबसे ऊँचा मंच पाया ।
भाषण देने चीता आया
मोर ने करतब दिखाया
शेर ने फिर हाथ दिखाया
कार्यक्रम को आगे बढ़ाया ।
खली, केन, राक को बुलाया
रिंग में उनको उतरवाया
चिंपाजी को रेफरी बनाया
पहलवानों में दंगल करवाया ।
प्रोग्राम ने तारीफ पाई
विजेता को मिली बधाई
सबने जम ताली बजाई
छक कर खूब मिठाई खाई ।
कवि कुलवंत सिंह
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7 पाठकों का कहना है :
बिल्ली अपनी कार में आई
भागी सरपट लोमड़ आई
मै मै करती बकरी आई
चिड़िया चूँ चूँ उड़ती आई
"बहुत खूब , मजा आ गया अपने बचपन की याद ताज़ा हो गई"
" Regards"
आया दिन फिर मंगल
जश्न आज है जंगल
होगा बड़ा इक दंगल
मनेगा खूब मंगल ।
बहुत सुंदर कविता लिखी है आपने कवि कुलवंत जी .बचपन की याद दिला दी आपने :)
अरे वाह
क्या जंगल मे मंगल है।
बहुत अच्छी कविता
बधाई
जंगल के दंगल के साथ साथ आपका जन्म दिन मंगलमय हो.. बहुत बहुत बधाई.
बड़ी हीं बेहतरीन जंगल में दंगल है।
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
बहुत ही प्यारी बाल-कविता है.पूरी कविता एक चलचित्र की तरह हो गयी है.बहुत मजा आया.चंपक की कहानियाँ याद आ गयीं .
बहुत khub kulwant जी.
बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
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