चन्दा बनना चाहे चुनमुन
चन्दा देखे धरती पे
धरती पे लाखों चुनमुन हैं
चुनमुन प्यारे प्यारे हैं
सारे जग से न्यारे हैं
एक दिन चाँद के मन में आयी
उसने माँ को बात सुनायी
धरती पे लाखों चुनमुन हैं
चुनमुन प्यारे प्यारे हैं
सारे जग से न्यारे हैं
एक दिन चाँद के मन में आयी
उसने माँ को बात सुनायी
सर्दी के दिन आऐ रे
मुझको ठँड सताऐ रे
सन सन करके पवन चले है
ठिठुर ठिठुर कर रात कटे है
मुझको ऊनी ड्रेस मँगा दे
सुंदर सी एक कैप लगा दे
नन्हे नन्हे मौजे ला दे
काले काले बूट मँगा दे
मुझको ठँड सताऐ रे
सन सन करके पवन चले है
ठिठुर ठिठुर कर रात कटे है
मुझको ऊनी ड्रेस मँगा दे
सुंदर सी एक कैप लगा दे
नन्हे नन्हे मौजे ला दे
काले काले बूट मँगा दे
चन्दा की सुन बात रे
माता सोच के बोली रे
माता सोच के बोली रे
घटता बढता रोज तू
और कभी ना दिखता तू
कौन नाप की ड्रेस मँगायें
ये ना मेरी समझ में आये
और कभी ना दिखता तू
कौन नाप की ड्रेस मँगायें
ये ना मेरी समझ में आये
किस उलझन में उलझा आजा
तू है नील गगन का राजा
मेरे प्यारे लाल लाडले
तेरा यूँ ही रूप सलोना
मेरी लाख दुआएँ तुझको
लगे कभी ना जादू टोना
तेरा रुप लुभाता है
तू मामा कहलाता है
- सुषमा गर्ग
08.01.08
तू है नील गगन का राजा
मेरे प्यारे लाल लाडले
तेरा यूँ ही रूप सलोना
मेरी लाख दुआएँ तुझको
लगे कभी ना जादू टोना
तेरा रुप लुभाता है
तू मामा कहलाता है
- सुषमा गर्ग
08.01.08

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
8 पाठकों का कहना है :
सुषमा जी बहुत ही प्यारी कविता विशेषकर ये पंक्तियाँ-
सर्दी के दिन आऐ रे
मुझको ठँड सताऐ रे
सन सन करके पवन चले है
ठिठुर ठिठुर कर रात कटे है
मुझको ऊनी ड्रेस मँगा दे
सुंदर सी एक कैप लगा दे
नन्हे नन्हे मौजे ला दे
काले काले बूट मँगा दे
निश्चित तौर पर इसे बच्चों का प्यार मिलेगा
शुभकामनाओं सहित
आलोक सिंह "साहिल"
वाह !वाह ! सुषमा जी क्या कल्पना की है!!!!
--चन्दा के भोले से मन की भोली ख्वाहीश!
आप की प्यारी सी कविता मुस्कराहटें बिखेर गयी.
बहुत सुन्दर रचना है, बच्चों को बहलाने का या कि लोरी का बेहरतीन उदाहरण...
*** राजीव रंजन प्रसाद
सुंदर कविता ...है यह आपकी
चाँद और चुनमुन की कहानी कविता के माध्यम से बड़ी हीं खूबसूरत बन पड़ी है। बच्चों को ऎसे हीं बहलाती, फुसलाती एवं मनाती रहें, ताकि ऎसी रचनाएँ हमें पढने को मिलती रहें।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
मित्रों,
उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद.
सुषमा जी
सचमुच बहुत अच्छी कविता।
भाव बहुत ही पसंद आये।
सुषमा जी,
चंदा बनना चाहे चुनचुन, कविता बहुत अच्छी लगी। बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट पर अच्छी बाल कविताएं पढ़ने को मिलीं। मैं जयपुर से एक बाल पत्रिका का सम्पादन कायॆ देख रही हूं, अगर आपकी रचनाओं का इसमें सहयोग मिलेगा तो पाठकों और मुझे बेहद खुशी होगी। कृपया जवाब दें।
धन्यवाद
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)