Friday, January 4, 2008

मेरा जन्मदिन

एक बात कहूँ?

एक बात कहूँ मेरे पापा,
मेरा जो जन्मदिन आया है,
परियाँ उतरी हैं आसमान से,
चाँद दूध में नहाया है।
हैं तारे लुकाछिपी करते
हवाओं के संग-संग खेल रहे,
और आप हो मेरे साथ खड़े
आशीर्वाद उड़ेल रहे।
यह आसमां नदी, झरने सारे
कहने को कितने न्यारे हैं,
पर आपका प्यार सबसे बढकर,
सच्ची-मुच्ची आप प्यारे हैं।

सच्ची-मुच्ची!
सच्ची-मुच्ची!

और माँ!
आपसे भी एक बात कहूँ?

एक बात कहूँ ओ माँ मेरी,
दिन खुशियों का जो आया है,
तेरे आँचल में भरकर तारे
अंबर ने खुद को सजाया है।
दो हाथों में थामे चेहरा-
भरी अंखियों से जो तकती हो,
मौसम और साल बदलते हैं,
तुम दुआ देती नहीं थकती हो।
चाहे बिस्किट के हो बाग-बगीचे
या चाकलेट की फुलवारी हो,
सब छोड़, तुम्हारे पास आऊँ,
माँ! तुम तो सबसे प्यारी हो।

सच्ची!
सच्ची-मुच्ची!

माँ, पापा और भैया मेरे,
तुम सब हीं हो खेवैया मेरे।
हो ना?
बोलो, हो ना?

तो आज एक वादा कर लो,
मुझे छोड़ कहीं ना जाओगे,
और मझसे भी वादा ले लो-
जहाँ आप, मुझे वहीं पाओगे।

तो सच में-
मेरा यह जन्मदिन आया है,
दिन खुशियों का हीं लाया है।

-विश्व दीपक 'तन्हा'


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9 पाठकों का कहना है :

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बहुत बढ़िया, भाव-विभोर करती हुई कविता..
वात्सल्य उमड़ आया पढ़कर.. शब्दावली ऐसी कि चित्र उभर आये सभी और अगर इस कविता का चित्रांकन किया जाये तो बहुत सुन्दर लगेगा..
-राघव

Anonymous का कहना है कि -

तन्हा भाई,
जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई.
हा हा हा ...
दिल को छू लेने वाली प्यारी कविता.
आलोक सिंह "साहिल"

शोभा का कहना है कि -

तनहा जी
बहुत बढ़िया कविता लिखी है आपने । मज़ा आगया । एक दम सरल भाषा में सुन्दर लिखा है ।

Alpana Verma का कहना है कि -

भावों भरी कविता--
'चाहे बिस्किट के हो बाग-बगीचे
या चाकलेट की फुलवारी हो,
सब छोड़, तुम्हारे पास आऊँ,'
इस को पढ़ कर मुझे मुंशी प्रेमचंद जी की लिखी कहानी 'ईद ' याद आ गयी-[शायद यही नाम था.]जिस में एक बच्चा मेले में है खिलोनों की जिद्द करता है लेकिन जब वह मेले में बिछड़ जाता है ,रोता है और फ़िर उसे कोई खिलौना/मिठाई चुप नहीं कर पाता क्यूँकि उसे सिर्फ़ माँ-पिता के पास जाना होता है.

'और मझसे भी वादा ले लो-
जहाँ आप, मुझे वहीं पाओगे।'
बहुत अच्छी कविता है--

विश्व दीपक का कहना है कि -

आप सबों ने इस रचना को पसंद किया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। यह रचना दर-असल मैने अपने cousin (चचेरे छोटे भाई) के लिए लिखी थी, अभी घर पर। इस १० जनवरी को उसका जन्मदिन है। उसने कहा कि भैया जाने से पहले मेरे लिए कोई कविता लिख दीजिए । उसी कविता को मैने बाल-उद्यान के लिए भी सहेज लिया था।

-विश्व दीपक 'तन्हा'

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत सुंदर कविता और बहुत ही सुंदर उपहार दिया है आपने इस रूप मैं अपने भाई को .बहुत ही सुंदर लगी आपकी यह कविता !!

सुनीता शानू का कहना है कि -

सच्ची मुच्ची बहुत अच्छी कविता...जन्म दिन की मुबारक बाद दे हमारी और से भी...

अभिषेक सागर का कहना है कि -

बहुत अच्छी कविता.... बधाई

Sushma Garg का कहना है कि -

बहुत मासूम कविता है, सच्ची मुच्ची.
बधाई..

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