बाल-पुकार (ईश-वन्दना)
हे दयानिधे, हे करुण-सिन्धु, हे जग के पालन हार सुनो
हम हाथ जोड़ वन्दन करते, हे ईश्वर आज पुकार सुनो...
हम सुमन तुम्हारे उपवन के
हम तेरे सागर के मनके
हम तेरे नभ के तारे सब
हे प्रभु तेरे ही सहारे अब
रखना प्रभु कृपादृष्टि सदा
रखना प्रभु कृपादृष्टि सदा, हम कहते बारम्बार सुनो...
हम हाथ जोड़ वन्दन करते,हे ईश्वर आज पुकार सुनो
कर्तव्य मार्ग पर बढ़ें कदम
कांटों से विचलित ना हों हम
छल, द्वेष, ईर्ष्या, बैर, अहम
अब कोसों दूर रहें हरदम
हो परोपकार का भाव हृदय
हो परोपकार का भाव हृदय, कर दो हमपर उपकार,सुनो...
हम हाथ जोड़ वन्दन करते, हे ईश्वर आज पुकार सुनो
मेरा - तेरा तज अपनापन
हो सुन्दर सरस सलोना मन
हो दया शीलता क्षमा त्याग
मितभाषी हो हर शब्द, राग
कटुता हो जाये लुप्त स्वमं
कटुता हो जाये लुप्त स्वमं, इतना दे दो विस्तार, सुनो...
हम हाथ जोड़ वन्दन करते, हे ईश्वर आज पुकार सुनो
आंखों में हो ना खून सुनो
हो चारों तरफ सुकून सुनो
ना भाई बहन बन्धु बिछ्ड़े
ना कोख,सुहाग,पोंची उजड़े
हो कलम सभी के हाथों में
हो कलम सभी के हाथों में, छीनो लड़ती तलवार, सुनो...
हम हाथ जोड़ वन्दन करते, हे ईश्वर आज पुकार सुनो
हे दयानिधे, हे करुण-सिन्धु, हे जग के पालन हार सुनो
हम हाथ जोड़ वन्दन करते, हे ईश्वर आज पुकार सुनो...
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8 पाठकों का कहना है :
'मेरा - तेरा तज अपनापन
हो सुन्दर सरस सलोना मन
हो दया शीलता क्षमा त्याग
मितभाषी हो हर शब्द, राग
कटुता हो जाये लुप्त स्वमं'
बहुत खूब!
*सरलता, प्रवाह ,सुंदर सोच ,
संदेश और प्रभाव है इस ईश वंदना में.
कर्तव्य मार्ग पर बढ़ें कदम
कांटों से विचलित ना हों हम
छल, द्वेष, ईर्ष्या, बैर, अहम
अब कोसों दूर रहें हरदम
हो परोपकार का भाव हृदय
हो परोपकार का भाव हृदय, कर दो हमपर उपकार,सुनो...
हम हाथ जोड़ वन्दन करते, हे ईश्वर आज पुकार सुनो
"it is quite different from your routine write ups,but really it is good one.liked reading it"
Regards
हो कलम सभी के हाथों में, छीनो लड़ती तलवार, सुनो...
हम हाथ जोड़ वन्दन करते, हे ईश्वर आज पुकार सुनो
सुंदर ईश वंदना ..!!
बहुत अच्छी कविता
देश प्रेम को जगाता है
बधाई
राघव जी देशप्रेम और समरसता की भावना में गुंथी यह इश वंदना अच्छी लगी,
बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
राघव जी खूबसूरत वंदना भावों से भरी
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति .
... हो कलम सभी के हाथों में
हो कलम सभी के हाथों में, छीनो लड़ती तलवार, सुनो...
हम हाथ जोड़ वन्दन करते, हे ईश्वर आज पुकार सुनो
हे दयानिधे, हे करुण-सिन्धु, हे जग के पालन हार सुनो
हम हाथ जोड़ वन्दन करते, हे ईश्वर आज पुकार सुनो...
सुनीता
आंखों में हो ना खून सुनो
हो चारों तरफ सुकून सुनो....
हो कलम सभी के हाथों में
छीनो लड़ती तलवार, सुनो
भावनात्मक तौर पर तुरंत ही मन को छू गई आपकी कविता. कलम को अपनाने की प्रेरणा देती आपकी ईश वंदना बहुत बेहतरीन एवं प्रशंसनीय है.
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