वसुन्धरा पुकारती--
सुनो सपूत देश के
जलाओ जोत प्यार की
वो देखो कितने प्यार से
वसुन्धरा पुकारती--
ये हिन्दू है ये सिक्ख है
मुसलमाँ ये ईसाई है
ना सोचो क्षुद्र बातों को
ये माँ के जाए भाई हैं
बहेगा रक्त माँ का ही
जो भूलो बात प्यार की
वो देखो---
मिलाओ हाथ हाथसे
बढ़ो कदम मिला के तुम
नज़र लगे किसी की ना
ऊँचाइयों को पाओ तुम
नो सोचो बात स्वार्थ की
डगर ये है परमार्थ की
वो देखो---
महान अपना राष्ट्र है
महान इसकी संस्कृति
युगों-युगों से बाँटती
ग्यान योग शान्ति
चलो बताएँ विश्व को
कि कम नहीं है भारती
वो देखो---
कसम उठाओ आज ये
कि वैर को भुलाएँगें
जो कोई भी कहेगा कुछ
भुलावे में ना आएँगें
करेंगें बात हम सदा
अभिन्नता औ प्यार की
वो देखो---
शोभा महेन्द्रू
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8 पाठकों का कहना है :
कसम उठाओ आज ये
कि वैर को भुलाएँगें
जो कोई भी कहेगा कुछ
भुलावे में ना आएँगें
वाह बहुत प्यारी सी कविता है यह शोभा जी .२६ जनवरी की बहुत बहुत बधाई सबको !!
सभी को शुभकामनाएं |
सुंदर रचना |
अवनीश तिवारी
युगों-युगों से बाँटती
ग्यान योग शान्ति
चलो बताएँ विश्व को
कि कम नहीं है भारती'
सुंदर पंक्तियाँ .
कविता मन में देश प्रेम जगाती है.
शोभा जी बहुत ही सुंदर कविता
आलोक सिंह "साहिल"
कसम उठाओ आज ये
कि वैर को भुलाएँगें
जो कोई भी कहेगा कुछ
भुलावे में ना आएँगें
"बहुत सुंदर प्यारी कविता ,२६ जनवरी की बहुत बहुत बधाई "
देखो कितने प्यार से वसुन्धरा पुकारती....
बहुत ही प्यारी रचना..
२६ जनवरी के अवसर पर इस प्यारी कविता के लिए शोभा जी बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
एक खूबसूरत रचना.. बधाई..
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