नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद के सहयोग से हिन्द-युग्म ने किया नेपाल में बाल कविता प्रतियोगिता का आयोजन
बीरगंज (नेपाल) जनवरी १२।
नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद ने हिन्द-युग्म के संयुक्त तत्वाधान में कक्षा ८ से १० तक के विधार्थीयों का पर्सा जिला स्तरीय बाल कविता प्रतियोगिता आयोजना कराया। उद्योग बाणिज्य संघ हॉल में आयोजित उक्त प्रतियोगिता में विभिन्न विद्यालयों के २१ विद्यार्थियों ने भाग लिया।
उक्त प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार दिल्ली पब्लिक स्कूल की
सुरम्या शुभम ने प्राप्त किया, द्धितीय पुरस्कार डी॰ए॰भी॰ पब्लिक स्कूल की ऐश्वर्या भट्ट तथा तृतीय पुरस्कार दिल्ली पब्लिक स्कूल की आसियाना ने प्राप्त किया। अंशुमन आलोक, लक्की कुमारी (सेंट जेवीयर स्कूल), सुकन्या, निकीता क्याल ( डी॰ए॰भी॰ पब्लिक स्कूल), बेबी सर्राफ (नेपाल रेल्वे मा वि), बीरेन्द्र कुमार मिश्र (महानन्द प्रसाद उ मा वि) तथा ज्योति शर्मा (माइस्थान विद्यापीठ) ने सान्तावना पुरस्कार प्राप्त किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि इन्द्रदेव सिंह, डा० लटपट ब्रजेश, डा० विशम्भर शर्मा, चन्द्रकिशोर झा, गोपाल अश्क आदि ने शुभकामना देते हुए कविता पाठ किया। कार्यक्रम का सभापतित्व परिषद के अध्यक्ष ओमप्रकाश सिकरिया तथा संचालन सतिश चन्द्र सजल जी ने किया। छात्र-छात्राओं की कविता लेखन प्रतिभा खोज कर प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उक्त कार्यक्रम आयोजित किया गया। मेरा देश, माँ एवम् शरद ऋतु समेत तीन विषयों पर बालको की भावना कविता में सुन कर श्रोतागण मुग्ध हो गए थे।
हिन्दी बाल कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त कविता
रचनाकार : सुरम्या शुभम ( दिल्ली पब्लिक स्कूल, बीरगंज, नेपाल)
शीर्षक : माँ
एक नन्ही-सी कली मैं
आश्रय तेरे गर्भ का पायी
तेरे ही खून से सिंचित मैं
तुझ-सा मनभावन रूप मैं पायी
शत नमन तुझे माँ
तूने अमृत दान दिया
अबोध अंजानी मैं क्या जानूँ
वात्सल्या, तूने मुझपे प्राण दिया
बाहें फैला कलेजे से लगाया
डाग भरते जब डगमगायी
दुलारा, चुमा, प्यार किया
जब-जब आँखें मेरी भर आयी
खंडित तेरा क्रोध है माँ
अखंडित तेरा प्यार, सदाबहार
दावानल भी शांत हो जाये
पाये जो तेरे स्नेह की फुहार
रंगमंच है यह जीवन मेरा
तेरी भूमिका अहम है माँ
तुझ-बिन मेरा अस्तित्व नहीं है
तू ही जीवन दर्पण है माँ
सहचरी है तू पिता की
उन बिन तू अधूरी माँ,
पर गर चुनना पड़े तो
मुझे ही चुनोगी तू मेरी माँ
बचपन छुटने लगा है अब
किशोरावस्था को पाई हूँ
जब भी आत्मसात करती, लगता
तेरे हीं सपनों में नहाई हूँ।
पाटाल कुसुम तू जीवन की
मैं तेरे आँचल की कस्तूरी
महक उठेगी बगिया तेरी
जब पूरी करूँगी आस तेरी
सृष्टि रचयिता तू भगवान
तुझे न कभी देख पायी हूँ
तू अदृश्य पर मेरी माँ सदृश्य
उसमें ही तेरी छवि पायी हूँ
दिव्यता मन में समाये रहे
संस्कार नहीं भूलूँगी माँ
आस्था का दीप जलाये रखूँगी
तेरे स्वप्न शिखर को चूमूँगी माँ
हिन्दी बाल कविता प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त कविता
रचनाकार : ऐश्वर्या भट्ट, कक्षा ८ (डी॰ ए॰ वी॰ उच्च मा विद्यालय , बीरगंज, नेपाल)
शीर्षक : माँ
स्वर्ग से भी बढ़कर
माँ के चरणों की धूल,
हमें इतना प्यार करे
जैसे हो कोई फूल।
आँचल की छाँव में जिनके
हम अपना जीवन बीताते,
आगे बढ़ते रहने की हिम्मत
हम माँ से ही पाते।
माँ ने ऊँगली पकड़कर
चलना हमें सिखाया,
कठिनाइयों से हमें बचाया
बनकर हमारी छाया।
माँ की डाँट होती है
स्नेह से परिपूर्ण,
माँ ही तो भर देती है
हममें कई गुण।
पृथवी पर अगर करना हो
ईश का दर्शन,
इधर-उधर मत भटको प्यारे
कर लो मातृ-वंदन।
यूँ तो जग में सबको लगती
अपनी माता प्यारी,
मेरी माँ पर यही सिखाती
मातृभूमि है सबसे प्यारी।
हिन्दी बाल कविता प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार प्राप्त कविता
रचनाकार : आशियाना ( दिल्ली पब्लिक स्कूल, बीरगंज, नेपाल)
शीर्षक : मेरा देश
नगाधिराज का चरण चुम्बित, मेरा देश महान
शिव शिवा की तप: भूमि शांति, शांति से गुंजित इतिहास
पौरूष के महोच्चार से, आज देवात्मा का महाअट्टाहास
नगाधिराज का चरण चुम्बित, मेरा देश महान
बुद्धम शरणम् गच्छामि ,संद्य: परिणित, पौरूष शरणम् गच्छामि
पौरूष साधना धर्म का अपना इतिहास
नगाधिराज का चरण चुम्बित, मेरा देश महान
रक्त क्रान्ति में आई साधना की शाम
हिमालय के आँगन में बार-बार शंकर का अट्टाहास
नगाधिराज का चरण चुम्बित, मेरा देश महान
राष्ट्र-राष्ट्रियता, राज-चक्र में सुना विधर्म गान
जय जय जय नेपाल
पौरूष-परिवर्तन नवशक्ति क नव-आह्वान
गाता हार में जीत का गान दलित दल बल
अधिकार के महोल्लास से पाता त्राण
जय जय जय नेपाल
शिव-शिवा या जन-जन का प्राण
रक्त क्रान्ति, जन क्रान्ति, दलित दल बल का महोल्लास
नगाधिराज का चरण चुम्बित, मेरा देश महान
झण्डे झण्डे में बट गया राष्ट्र
शाह का एकीकरण नाश
जय जय जय नेपाल
गौतम के सुगत का गीत
राम-कृष्ण का शील,
राधा की मधुर मुस्कान
निगल गया मार्क्स माओ का समतावाद
जय जय जय नेपाल
हम नया राष्ट्र बनाएँगे
सुगन का गीत गाएँगे
नय इतिहास में नया संसार लाएँगे
सुगत का गीत गाएँगे
हमारा गणतंत्र राज महान
जय जय जय नेपाल
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8 पाठकों का कहना है :
एक नन्ही-सी कली मैं
आश्रय तेरे गर्भ का पायी
तेरे ही खून से सिंचित मैं
तुझ-सा मनभावन रूप मैं पायी
" very nice poetry.all the three poems are heart catching. topic of poem is too interesting and poems composed by the childrens shows their sweat n polite thoughts. congratulations to all the winners.keepit up"
With Love
बच्चों की प्रतिभा देखती ही बनती है.. बहुत ही सुन्दर कवितायें लिखी है..
बहुत बहुत बधाई एवं शुभ-कामनायें..
वाह बहुत सुंदर ..बच्चों ने बहुत ही सुंदर लिखा है ..यूं ही आगे बढे यही शुभकामना है !!
**नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद और हिन्द-युग्म का एक और सराहनीय कदम !
*छात्र-छात्राओं की कविता लेखन प्रतिभा खोज कर प्रोत्साहित करने का आप का उद्देश्य बहुत ही अच्छा है .ईश्वर करे कि आगे भी आप को ऐसी ही सफलताएं मिलें.
*मेरा देश, माँ एवम् शरद ऋतु तीनो विषय अच्छे थे.
**सुरम्या शुभम ,ऐश्वर्या भट्ट, आशियाना तीनो बच्चों को पुरस्कार मिलने पर बधाई.तीनो ही कवितायें पसंद आयीं.आगे भी ऐसे ही लिखती रहें.शुभकामनाएं.
नेपाल में जो आयोजन हुआ वह बहुत उत्साहित करने वाला है । हिन्द-युग्म का सहयोग यदि इसीप्रकार होता रहा तो भविष्य में हिन्दी जानना और हिन्दी में अभिव्यक्ति करना हर बालक चाहेगा । तब हमारा स्वप्न साकार होगा । बच्चों द्वारा प्रस्तुत की गई कविताएँ प्रभावी हैं । सभी बच्चों को आशीर्वाद तथा आयोजकों को बधाई ।
सबसे पहले नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद को धन्यवाद...
बहुत ही सुंदर कविताये आयी इस प्रतियोगिता मे..
सभी प्रतिभागियो को बधाई
नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद नेपाल में जितना काम कर रहा है, उतना तो भारत की भी अपने आप को सक्रिय कहने वाली हिन्दी संस्थाएँ नहीं करती हैं। नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद और हिन्द-युग्म साधुवाद के पात्र हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की पहल कर रहे हैं।
बच्चों में ग़ज़ब की काबलियत है। ये बच्चे आगे चलकर जिम्मेदार कवि बनें हमारी यही शुभकामना है।
वाह ! बहुत अच्छे ।
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