मुन्ना तू काहे घबराए
मुन्ना तू काहे घबराए
कर हिम्मत सब कुछ हो जाए
नन्ही चिड़िया गगन में उड़ती
मीलों मीलों यात्रा करती
अपने लक्ष्य में दृष्टी रखती
तभी न थकती उड़ती चलती
क़्यों सोच में समय बिताए
मुन्ना तू काहे घबराए
तिनका लाए तिनका जोड़
जोड़ जोड़ घरौंदा बनाए
आँधी गरमी तूफाँ आए
हर मुश्किल से टकरा जाए
अपनी मेहनत का सुख पाए
मुन्ना तू काहे घबराए
ऊँची डगरिया नहीं सहारा
नीलगगन में कहाँ बसेरा
कन कन चुग के दाना लाए
आधी अधूरी भूख मिटाए
झूम झूम डाली पे गाए
मुन्ना तू काहे घबराए
पँखों से बली हाथ तुम्हारे
अमिट बल बुद्धि है पास तुम्हारे
आशीष बड़ों का साथ तुम्हारे
उनके अरमाँ तेरे सहारे
क्योँ तू इतना समझ ना पाए
मुन्ना तू काहे घबराए
तेरा जीवन अनमोल कहानी
धूप छाँव की डगर सुहानी
आत्म विश्वास से बढ़ते जाना
कभी ना पीछे कदम हटाना
तेरी मेहनत व्यर्थ न जाए
मुन्ना तू काहे घबराए
सुषमा गर्ग
29.01.08
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 पाठकों का कहना है :
सुषमा जी बहुत ही प्यारी रचना
अलोक सिंह "साहिल"
तिनका लाए तिनका जोड़
जोड़ जोड़ घरौंदा बनाए
आँधी गरमी तूफाँ आए
हर मुश्किल से टकरा जाए
अपनी मेहनत का सुख पाए
मुन्ना तू काहे घबराए
" बहुत अच्छी रचना ,पसंद आई"
Regards
चिड़िया के माध्यम से कर्मठता का सन्देश देती सुन्दर बाल रचना..
सुषमा जी
बहुत सुन्दर पाठ पढ़ाया है । जीवन की कठिनताओं की ओर संकेत करते हुए उनका सामना करने की शक्ति देने के लिए बधाई
पँखों से बली हाथ तुम्हारे
अमिट बल बुद्धि है पास तुम्हारे
आशीष बड़ों का साथ तुम्हारे
उनके अरमाँ तेरे सहारे'
बच्चों को अच्छी सीख देती हुई कविता है .
बहुत ही सुंदर रचना ..बधाई सुषमा जी !!
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)