सीख
जल्दी सोना जल्दी उठना
सीख सदा याद तुम रखना
प्रात: उठ लो प्रभु का नाम
सभी बडों को करो प्रणाम्
माता- पिता की सेवा करना
गुरू अपने को शीश झुकाना
दीन- दुखी की पीड़ा हरना
मीठी वाणी से जग अपना करना
अहँ भाव को दूर भगाओ
पुस्तक लेकर पढ़ने जाओ
घर के सारे काज सँवारो
अपनी हिम्मत कभी ना हारो
अनजानों से बच के रहना
लालच कर धोखा मत खाना
कभी किसी से तुम मत लड़ना
बात बात पे नहीं रुठना
भाई- बहन से राखो प्यार
सीखो विद्या बनो उदार
बात ज्ञान की भूल न जाना
नेक राह पर बढ़ते जाना
अपना जीवन सफल बनाना
सुषमा गर्ग
15.01.08
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
10 पाठकों का कहना है :
सुषमा जी
बहुत सुन्दर -- कविता के माध्यम से सारी बातें सिखा दी आपने । बधाई स्वीकारें
बहुत सुंदर लगी आपकी यह कविता .बहुत सी बातें बताती हुई !!
"जीवन के मूल्यों को समझाती हुई एक अच्छी रचना "
Regards
सुषमा जी,
बहुत सुन्दर सीख दी कविता के माध्यम से..
कविता लिखी जो बच्चों के हित..
बच्चें अवश्य होंगें लाभांवित..
बिल्कुल सही सीख दे रही है आप की कविता,
ख़ास कर यह पंक्तियाँ जो आज के समय बच्चों को
अपनी सुरक्षा के लिए गाँठ बाँध लेनी चाहिये.
''अनजानों से बच के रहना
लालच कर धोखा मत खाना''
*कविता की हर पंक्ति में एक सीख है-
आशा है बच्चे समझेंगे और जीवन में इन्हें उतारेंगे.
सुषमा जी अच्छी रचना.
आलोक सिंह "साहिल"
सुषमा जी
बहुत अच्छी सीख के साथ साथ बहुत अच्छी कविता
बधाई
सुषमा जी सुंदर लिखा है..
सुषमा जी आप की कविता सराहनीय है ... बहुत खूब
सुनीता
सुषमा जी आप की कविता सराहनीय है ... बहुत खूब
सुनीता
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)