मेरी प्यारी बहना/ मेरे प्यारे भैया
(1)
मेरी प्यारी बहना
मेरी छोटी प्यारी बहना
जीवन भर खुश रहना
अपनी तोतली बोली में
तुम भैया-भैया ही कहना
तेरी भोली भाली सूरत
लगती ज्यों मंदिर की मूरत
तेरा सोना रूप सलोना
दमका घर आँगन का कोना
तुम जब हँसती बोलती हो
जैसे कलियाँ चटक रही हो
जब चलती हो ठुमक-ठुमक कर
मानो गुडिया मटक रही हो
तेरा रोना और रूठ जाना
मुझे नही है भाता
तेरी तोतली बोली सुनकर
मुझे मज़ा है आता
मेरी छोटी प्यारी बहना
जीवन भर खुश रहना
अपनी तोतली बोली में
तुम भैया-भैया ही कहना
नंदन:- बचेली, बस्तर (छ.ग.)
(2)
मेरे प्यारे भैया
मेरे प्यारे भैया राजा
मुझको नही सताते हैं
हाथ पकड स्कूल ले जाते
परियों की कथा सुनाते हैं
माँ मारती - पिता डाँटते
भैया तो सहलाते हैं
मैं जब रूठती भैया मरे
मिठाई दे बहलाते हैं
कुछ भी मिलता खाने को
वे पहले मुझे खिलाते हैं
पढना- लिखना और गाना
भैया मुझे सिखाते हैं
अपने पास बिठाकर मुझको
अच्छे खेल खिलाते हैं
और कभी फुर्सत में हो तो
मुझे कार्टून भी दिखाते हैं
दिन भर पढना-लिखना उनका
समय नही गँवाते हैं
अपनी सायकिल पर बिठा मुझे
शाम की सैर कराते हैं
*****************
नंदन:- बचेली, बस्तर (छ.ग.)

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6 पाठकों का कहना है :
नंदनजी बहुत ही प्यारी और मिठास भरी कविता है, आनंदित हो गए हम.
बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
इस अनोखे रिश्ते को आपने कविता के माध्यम से जिस ढंग से प्रस्तूट किया वह प्रसंसनीय है ...प्यारी -प्यारी कविताएँ...
सुनीता यादव
सुंदर रचना!
बधाई स्वीकारें!
नन्दन जी
दो प्यारी प्यारी मीठी मीठी कविताओ के लिये
मीठी मीठी बधाइयाँ
अच्छी लिखी है आपने कवितायेँ नंदन जी-
लिखते रहिये--शुभकामनायें
नन्दन जी
बहन भाई के प्यार को कितने अच्छे ढंग से आपने प्रस्तुत किया है... बधाई
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